धन प्राप्ति हेतु शंखासुर तंत्र टोटके
1. नित्य प्रातः काल स्नान से पवित्र होकर, शंख में जल भरकर तुलसी वृक्ष के मूल में वह जल चढ़ावें, साथ ही वहांॅ पर एक अगरबत्ती जलाकर प्रणाम करें और एक तुलसी पत्र तोड़कर प्रसाद समझकर मुख में डाल लें।
2. लक्ष्मी जी तस्वीर या मूर्ति के दोनों पैर शंख में जल भरकर धोएॅ और उनके समक्ष एक अगरबत्ती जलाकर नमस्कार कर लें।
3. ’’दक्षिणवर्ती शंख’’ पूजा स्थल पर स्थापित कर नित्य सुबह-शाम धूप-दीप दिखावें।
धन प्राप्ति हेतु/अडार तंत्र टोटके
निर्धनता निवारण और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए यह ’’अडार तंत्र टोटके’’ अति सरल किन्तु महान प्रभावशाली है। यह टोटके घर की स्त्रियों द्वारा करने का विधान तंत्र शास्त्र में वर्णित है। जिस घर में स्त्री न हो, वहांॅ पुरूष भी यह टोटके कर सकते हैं।
सायंकाल घर में जितने भी बल्ब, ट्यूब लाईट या लालटेन, चिमनी, कुप्पी, दीपक आदि हों, उन सबको 10-15 मिनट के लिए जला दें। उस समय घर के किसी कोने में अंधेरा न रहे। बाद में अन्य प्रकाश-यंत्रो को बुझाकर आवश्यकता के अनुसार बल्बों का ट्यूब लाईटों को जले रहने दें। यह कार्य करते रहने से थोडे़ ही दिनों में माता लक्ष्मी की दया बरसने लगेगी।
अपार धन प्राप्ति हेतु ’’दूर्वा तंत्र’’ टोटके
दूर्वा अर्थात दूब (दुभरी) एक विशेष प्रकार की घास है। आयुर्वेद तंत्र और अध्यात्म में इसकी बड़ी महिमा बताई गई है। देव-पूजा में भी इसका प्रयोग अनिवार्य रूप से होता है। गणेश जी को यह बहुत प्रिय है।
साधक शुभ-मुहूर्त में बुधवार के दिन यह टोटके आरम्भ करे। प्रातः काल स्नान से पवित्र होकर श्री गणेश जी तस्वीर के समक्ष धूप-दीप जगावें। गुड़ का प्रसाद चढ़ावें और 108 दूब के टुकड़े गणेश जी के चरणों में समर्पित करें। यह क्रिया 41 दिन लगातार करें। इसके बाद द्रव्य उपार्जन के कार्य से कहीं जाए तो प्रतिमा पर अर्पित दुर्वादलों में से 9 दुर्वादल प्रसाद स्वरूप् लाल कपड़े में लपेट कर जेब में रख लें। यह दुर्वातंत्र धनोपार्जन एवं कार्य सिद्धि की अद्भुत कुंजी है।
बेसुमान दौलत हासिल कराने वाला ’’हरिद्रा तंत्र’’ टोटका
’’हरिद्रा’’ का प्रचलित नाम ’’हल्दी’’ है। ’’हरिद्रा’’ (हल्दी) कई प्रकार की होती है। एक हल्दी खाने के काम में नहीं आती, पर चोट लगने और दूसरे औषधिय गुणों में उसे महत्व दिया जाता है।ये रंग में सभी पीली होती हैं और पवित्रता का तत्व सभी में होता है। हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाली हल्दी पीली (बसन्ती) और लाल (नारंगी) दो की होती है। यद्यपि यह वर्ण भेद बहुत सूक्ष्म होता है, सामान्य दृष्टि में वह पीली ही दीख पड़ती है। इसी में कोई-कोई गांठ काले रंग की निकल आती है। यदि किसी को यह काली हल्दी की गांठ प्राप्त हो जाए तो समझना चाहिए कि लक्ष्मी प्राप्ति का एक श्रेष्ठ तांत्रिक दैवी-साधन मिल गया।
प्रयोग विधि:- प्रातः काल (शुभ मुहूर्त के शनिवार के दिन) स्नान से पवित्र होकर, काले हल्दी की गांठ को पीले अक्षत (पीले चावल) एवं एक सिक्के के साथ पीले कपड़े में बांधकर पूजा स्थल पर रखें और सुबह-शाम उनके समक्ष धूप-दीप जलाकर नमस्कार करें। इसे व्यापारी लोग अपने गल्ले, कैश बाॅक्स या तिजौरी में रखकर भी नित्य धूप-दीप दिखा सकतें है तो आश्चर्यजनक अर्थ लाभ होने लगता है।
यह ’’हरिद्रा’’ स्थापित करने वाले व्यक्ति को मूली, गाजर व जिमी कन्द (सूरन) खाना वर्जित है।