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जब गुरू दशम भाव में हो तो इसका प्रभाव…

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जब गुरू दशम भाव में हो तो इसका प्रभाव…

दशम भाव में अगर गुरू हो तो पुखराज धारण करने से कामकाज में वृद्धि होती है,मान प्रतिष्ठा बढ़ती है,घरेलू सुख में वृद्धि होती है। आर्थिक स्थिति मजबुत है।

1.मेष लग्न –

गुरू नवमेश – द्वादशेश होकर दशम भाव में मकर राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना इतना लाभकारी नहीं हैं। क्योंकि गुरू अपनी नीच राशि में होगा।

2.वृष लग्न –

गुरू अष्टमेश – लाभेश बनता है।पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होती है। विरासत में धन सम्पत्ति मिल सकती है।

3.मिथुन लग्न –

गुरू सप्तमेश – दशमेश होकर दशम भाव में मीन राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कामकाज/नौकरी में तरक्की होगी। पति – पत्नी सुख भी मिलेगा।

4.कर्क लग्न –

गुरू षष्ठेश – भाग्येश होकर दशम भाव में स्थित होगा। पुखराज धारण करना लाभकारी रहेगा।

5.सिंह लग्न –

गुरू पंचमेश – अष्टमेश होकर दशम भाव में वृष राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना इतना लाभकारी नहीं।शुभ – अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

6.कन्या लग्न –

गुरू चतुर्थेश – सप्तमेश होकर दशम भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा। पुखराज धरण से मकान,वाहन सुख में वृद्धि होगी। पति – पत्नी सुख में भी बढ़ोत्तरी होगी।

7.तुला लग्न –

गुरू तृतीयेश – षष्ठेश होकर दशम भाव में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से अपने कामकाज,कारोबार में किये गये प्रयत्नों में कामयाबी हासिल होगी।

8.वृश्चिक लग्न –

गुरू द्वितीयेश – पंचमेश होकर दशम भाव में सिंह राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। सन्तान आपकी सफलता में सहायक सिद्ध होगी।

9.धनु लग्न –

गुरू लग्नेश – चतुर्थेश होकर दशम भाव में कन्या राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से स्वास्थ्य में सुधार होगा। मकान,वाहन सुख प्राप्त होगा।

10.मकर लग्न –

गुरू द्वादशेश – तृतीयेश होकर दशम भाव में तुला राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से शुभ-अशुभ फल प्राप्त होंगे।

11.कुम्भ लग्न –

गुरू लाभेश – द्वितीयेश होकर दशम भाव में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी।

12.मीन लग्न –

गुरू दशमेश – लग्नेश होकर दशम भाव में धनु राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कामकाज/नौकरी में उन्नति होगी। स्वास्थ्य लाभ रहेगा।