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जब गुरू नवम भाव में हो तो उसका प्रभाव

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गुरू नवम भाव में

अगर गुरू नवम भाव मेें हो तो पुखराज धारण करने से धार्मिक वृत्ति बढ़ेगी,सन्तान सुख मिलेगा,मान सम्मान में वृद्धि होगी।स्वास्थ्य में सुधार होगा। महिलाओं को पति सुख मिलेगा।

1.मेष लग्न –

गुरू नवमेश – द्वादशेश होकर नवम भाव में अपनी राशि धनु में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से विदेश यात्रा का योग बनेगा,सन्तान सुख प्राप्त होगा तथा सेहत में सुधार होगा। धार्मिक कार्यों में प्रवृत्ति बढ़ेगी तथा तीर्थ यात्रा पर जाने का अवसर प्राप्त होगा।

2.वृष लग्न –

गुरू अष्टमेश – लाभेश होकर नवम भाव में अपनी नीच राशि मकर में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से शुभ – अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे। अतः सोच समझकर निर्णय लें।

3.मिथुन लग्न –

गुरू सप्तमेश – दशमेश होकर नवम भाव में कुम्भ राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कामकाज/व्यापार में वृद्धि होगी,नौकरी में पदोन्नति होगी,यश – मान बढ़ेगा।अविवाहितों का शादि का योग बनेगा तथा शादि का योग तथा शादि के बाद भाग्योदय होगा।

4.कर्क लग्न –

गुरू षष्ठेश – भाग्येश होकर नवम घर में मीन राशि में स्थित होगा। विदेश यात्रा का योग बनेगा। सामाजिक एवं धार्मिक कार्याें से मान सम्मान की प्राप्ति होगी। पुखराज धारण करने से शुभ – अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

5.सिंह लग्न –

गुरू चतुर्थेश – सप्तमेश होकर नवम भाव में वृष राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कुछ लाभ तो रहेगा। परन्तु सेहत कुछ ढीली रहेगी क्योकि गुरू अष्टमेश है।

6. कन्या लग्न –

गुरू चतुर्थेश – सप्तमेश होकर नवम भाव में वृष राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से शादि का योग बनेगा। तथा शादि के बाद भाग्योदय होगा। धन सम्पत्ति का लाभ होगा। तथा धरेलू सुख कायम होगा।

7.तुला लग्न –

गुरू तृतीयेश – षष्ठेश होकर नवम घर में मिथुन राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से शुभ – अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे। इसका कारण यह है कि गुरू छठे घर पर मालिक है जो रोग, ऋण,शत्रु का प्रतिनिधित्व करता है। अतः सोच समझकर निर्णय लें।

8.वृश्चिक लग्न –

गुरू द्वितीयेश – पंचमेश होकर नवम भाव में अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होगी,स्वास्थ्य लाभ रहे,भाई – बन्धुओं से सम्बन्ध मधुर बनेंगे। सन्तान सुख प्राप्त होगा तथा हर कार्य में सफलता मिलने की संभावना रहेगी।लाभ रहे,भाई – बन्धुओं से सम्बन्ध मधुर बनेंगे। सन्तान सुख प्राप्त होगा तथा हर कार्य में सफलता मिलने की संभावना रहेगी।

9.धनु लग्न –

गुरू लग्नेश चतुर्थेश होकर नवम भाव में सिंह राशि में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से धन सम्पत्ति बढ़ेगी,अच्छा वाहन प्राप्त होगा। घरेलू सुख शान्ति रहेगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा।

10.कुम्भ लग्न –

गुरू द्वादशेश – तृतीयेश होकर नवम भाव में कन्या राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से शुभ – अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

11.कुम्भ लग्न –

गुरू लाभेश – द्वितीयेश होकर नवम भाव में वृश्चिक राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी। प्रयत्न करने पर हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।

12.मीन लग्न –

गुरू दशमेश – लग्नेश होकर नवम भाव मे वृश्चिक राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से कामकाज/व्यापार में वृद्धि होगी,स्वास्थ्य में सुधार होगा,आपका व्यक्तिगत प्रभाव बढे़गा। हर कार्य में सफलता मिलेगी।