मंगल षष्ठ भाव में
अगर मंगल षष्ठ भाव में स्थित हो तो इसकी अष्टम दृष्टि लग्न पर जाती है।यह नहीं भूलना चाहिए कि मंगल मारणात्मक ग्रह भी है।अतः मूंगा धारण करने से चोट,एक्सीडैन्ट का खतरा रहेगा,धन का अपव्यय बढ़ेगा।अतः मूंगा धारण न करें।
1.मेष लग्न – मंगल लग्नेश-अष्टमेश होकर छठे घर में कन्या राशि में स्थित होता है। मूंगा धारण करने से शत्रुओं का नाश होता है,धन का अपव्यय होता है।
2.वृष लग्न – मंगल सप्तमेश-द्वादशेश होकर छठे घर में तुला राशि में स्थित होगा। मूंगा धारण करने से चोट,दुर्घटना का भय रहेगा,पति पत्नी में झगड़ा रहेगा ।
3.मिथुन लग्न – मंगल लाभेश-षष्ठेश होकर छठे घर में वृश्चिक राशि में स्थित होगा।मूंगा धारण करने से चोट,दुर्घटना का भय रहेगा,शत्रु पैदा होंगे। हां धन लाभ हो सकता है,अतः शुभ-अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।
4.कर्क लग्न – मंगल पंचमेश-दशमेश होकर छठे घर में धनु राशि में स्थित होगा। मूंगा धारण करने से कामकाज/व्यापार में उन्नति होगी,मगर चोट दुर्घटना का भय रहेगा,धन का अपव्यय होगा।
5.सिंह लग्न – मंगल चतुर्थेश-भाग्येश होकर छठे घर में मकर राशि में स्थित होगा।मूंगा धारण करने से लाभ रहेगा,परन्तु चोट/दुर्घटना का भय रहेगा।
6.कन्या लग्न – मंगल तृतीयेश-अष्टमेश होकर छठे घर में कुम्भ राशि में स्थित होगा। मूंगा धारण करना अत्यन्त हानिकारक है।
7.तुला लग्न – मंगल द्वितीयेश-सप्तमेश होकर छठे घर में मीन राशि में स्थित होगा। मूंगा धारण करने से चोट/दुर्घटना का भय रहेगा क्योंकि मंगल मारकेश बनता है।
8.वृृश्चिक लग्न – मंगल लग्नेश-षष्ठेश होकर छठे घर में अपनी मेष राशि में स्थित होगा।मूंगा धारण करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।
9.धनु लग्न – मंगल द्वादशेश-पंचमेश होकर छठे घर में वृष राशि में स्थित होगा। मूंगा धारण करने से धन का अपव्यय होगा। स्वास्थ्य हानि
10.मकर लग्न – मंगल चतुर्थेश-लाभेश होकर सप्तम स्थान में नीच राशि मकर राशि में स्थित होगा।मूंगा धारण करने से पत्नी के लिए तथा स्वयं के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
11.कुम्भ लग्न – मंगल तृतीयेश-दशमेश होकर सप्तम स्थान में मित्र राशि सिंह में होगा। मंूगा धारण करने से जातक अपने परिश्रम से कामकाज में उन्नति प्राप्त करेगा।नौकरी करने वालों को पदोन्नति मिलेगी।
12.मीन लग्न- मंलग द्वितीयेश होकर सप्तम स्थाव में कन्या राशि में स्थित। मूंगा धारण करने से धन सम्पत्ति में वृद्धि होगी तथा भाग्योदय होगा।