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जब,चन्द्रमा दूसरे भाव में हो…

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चन्द्रमा दूसरे भाव में

1.मेष लग्न – चन्द्रमा चतुर्थेश होकर द्वितीय भाव धन भाव में वृष राशि में स्थित होता है। मोती धारण करना धन,धान्य,सुख में वृद्धि करता है।

2. वृष लग्न – चन्द्रमा तृतीयेश होकर दूसरे भाव में मिथुन राशि में स्थित होता है। मोती धारण करने से जातक धन संग्रह करने में जुट जाता है।

3. मिथुन लग्न – चन्द्रमा द्वितीयेश होकर स्थान में स्थित होता है। अतः मोती धारण करने से जातक अत्यधिक धन संग्रह करने में सफल होता है।

4. कर्क लग्न – चन्द्रमा द्वादशेश होकर दूसरे भाव में स्थित होगा । मोती धारण करने से धन में वृद्धि होगी।

5. सिंह लग्न – चन्द्रमा द्वादशेश होकर दूसरे भाव मन्द्रमा द्वितीयेश होकर स्थान में स्थित होता है। अतः मोती धारण करने से जातक अत्यधिक धन संग्रह करने में सफल होता है।

6. कन्या लग्न – चन्द्रमा लाभेश होकर दूसरे भाव में तुला राशि में स्थिम होगा,अतः मोती धारण करने से धन लाभ भी अधिक होगा और धन संग्रह भी अधिक होगा।

7. तुला लग्न – चन्द्रमा दशमेश होकर द्वितीय भाव में नीच राशि में होगा। अतः मोती धारण करने से नौकरी का छुटना,कामकाज में मंदा की स्थिति आएगी। मान हानि होगी। मोती धारण न करें।

8.वृश्चित लग्न – चन्द्रमा भाग्येश होकर द्वितीय भाव में धनु राशि में स्थित होगा,अतः मोती धारण करने से भाग्य मंे वृद्धि होगी।

9.धनु लग्न- चन्द्रमा अष्टमेश बनकर द्वितीय भाव में मकर राशि में स्थित होता है। यह लाभकारी स्थिति नहीं है उल्टा धन की हानि होगी। मोती धारण न करें।

10. मकर लग्न – चन्द्रमा सप्तमेश होकर द्वितीय स्थान में कुम्भ राशि में स्थित होता है। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। अतः मोती धारण न करें।

11. कुम्भ लग्न – चन्द्रमा षष्ठेश होकर द्वितीय भाव में मीन राशि में स्थित होगा, धन की हानि करेगा। अतः मोती धारण न करें।

12.मीन लग्न – चन्द्रमा पंचमेष बनकर द्वितीय भाव में मेष राशि में स्थित होगा अतः मोती धारण करने से जातक की वाणि में मिठास आएगी,धन लााभ भी होगा। परन्तु पुत्र सन्तान के इच्छुक सज्जनों को मोती धारण न करना चाहिए।

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