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जब चन्द्रमा तृतीय भाव में हो

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चन्द्रमा तृतीय भाव में

1.मेष लग्न – चन्द्रमा चतुर्थेश होकर तृतीय भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से जातक के पैर में चक्कर होगा अर्थात भाग दौड़ अधिक रहेगी मगर लाभ कम होगा। मोती सोच समझकर धारण करें।

2.वृष लग्न – चन्द्रमा तृतीयेश होकर तृतीय स्थान में होगा। मोती धारण करने से जातक के पराक्रम में वृद्धि होगी,प्रयत्नों में सफलता मिलेगी।

3. मिथुल लग्न – चन्द्रमा द्वितीयेश होकर तृतीय स्थान में सिंह राशि में होगा,जातक अपना पैसा ही कारोबार में लगाएगा,नुक्सान भी हो सकता है। अतः सोच समझकर ही मोती पहनें।

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4. कर्क लग्न – चन्द्रमा लग्नेश होकर तृतीय स्थान में कन्या राशि में होगा,मोती धारण करने से प्रयत्नों में सफलता मिलेगी।

5.सिंह लग्न – चन्दमा लग्नेश होकर तृतीय स्थान में तुला राशि में स्थित होगा। जातक किसी बाहरी सहायता से अपना कामकाज करने में सफलता प्राप्त कर सकता है। मोती धारण किया जा सकता है।

6. कन्या लग्न- लाभेश होकर चन्द्रमा तृतीय भाव में वृश्चिक राशि में नीच राशि में स्थित होगा । मोती धारण करना जहां धन लाभ कराता है। वहां बहन भाईयों से सम्बन्धों में तनाव भी पैदा करता है।

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7. तुला लग्न – चन्द्रमा दशमेश होकर तृतीय स्थान में धनु राशि में स्थित होने से,मोती धारण करना कामकाज की वृद्धि करता है।

8. वृश्चिक लग्न – चन्द्रमा भाग्येश होकर तृतीय स्थान में मकर राशि में स्थित होगा,अतः मोती धारण करना भाग्य की वृद्वि करता है।?

9.धनु लग्न – चन्द्रमा अष्टमेश बनकर तृतीय स्थान में कुम्भ राशि में स्थित होगा, अतः मोती धारण करना लाभदायक नहीं है।

10.मकर लग्न – चन्द्रमा सप्तमेश बनकर तृतीय स्थान में मीन राशि में स्थित होगा,अतः हानिकारक नहीं है।

11. कुम्भ लग्न – चन्द्रमा षष्ठेश बनकर तृतीय भाव में मेष राशि में स्थित होगा, मोती धारण करना लाभदायक नहीं है।

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12.मीन लग्न – चन्द्रमा पंचमेश होकर तृतीय स्थान में वृष राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से जातक विद्या हासिल करने में सफलता प्राप्त कर सकता है।

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