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जब चन्द्रमा छठे भाव में हो…

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चन्द्रमा छठे भाव में

चन्द्रमा का छठे भाव में होना शुभ नहीं होता अतः मोती धारण न करें। अगर कुम्भ लगन हो तो षष्ठेश होकर षष्ठ भाव में होगा। ऐसी सूरत में आप मोती पहन सकते हैं।

विभिन्न लगनों की कुण्डलीयों में चन्द्रमा छठे भाव में स्थित होने पर मोती धारण करने से क्या-क्या फल मिल सकते हैं नीचे दिया गया है।

1. मेष लग्न – चन्द्रमा चतुर्थेश होकर छठे स्थान में कन्या राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से शत्रु पैदा होंगे,धन का व्यय बढ़ेगा।

2. वृष लग्न-चन्द्रमा तृतीयेश होकर छठे स्थान में तुला राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से पेट रोग पैदा होगा।

3. मिथुन लग्न- चन्द्रमा द्वितीयेश होकर छठे स्थान में अपनी नीच राशि वृश्चिक में होगा। मोती धारण करने से धन हानि होगी,शरीर रोगी रहे,शत्रु परेशान करें।

4. कर्क लग्न- चन्द्रमा लग्नेश होकर छठे घर में धनु राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से शुभ-अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

5. सिंह लग्न- चन्द्रमा द्वादशेश होकर छठे घर में मकर राशि में होगा। मोती धारण करना लाभकारी नहीं।

6. कन्या लग्न- चन्द्रमा लाभेश होकर छठे भाव में कुम्भ राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से शुभ-अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

7. तुला लग्न – चन्द्रमा दशमेश होकर छठे भाव में मीन राशि में स्थित होगा। मोती धारण किया जा सकता है।

8. वृश्चिक लग्न – चन्द्रमा नवमेश होकर छठे भाव में मेष राशि में स्थित होगा।मोती धारण करने से शुभ-अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

9. धनु लग्न – चन्द्रमा सप्तमेश होकर छठे भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से पति पन्ति में अनबन रहे।

10. मकर लग्न – चन्द्रमा सप्तमेश होकर छठे भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से पति पत्नी में अनबन रहे ।

11. कुम्भ लग्न – चन्द्रमा षष्ठेश होकर छठे भाव में अपनी राशि कर्क में होगा। मोती धारण करने से लाभ रहेगा।

12. मीन लग्न – चन्द्रमा पंचमेश होकर छठे भाव में सिंह राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से शुभ-अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

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