याद रहे यहां चन्द्रमा की स्थिति जातक को सन्तान के रूप में लड़कियां ही देती है। अतः मोती धारण करने से लड़कियां पैदा अधिक संभावना है।
1.मेष लग्न – इस कुण्डली में चतुर्थेश होकर चन्द्रमा पंचम भाव में सिंह राशि में स्थित होगा,मोती धारण करना हानिकारक नहीं है।
2.वृष लग्न – चन्द्रमा तृतीयेश होकर पंचम भाव में कन्या राशि में स्थित होगा,मोती धारण करने से जातक अपने पराक्रम तथा बुद्धि बल से सफलता प्राप्त करेगा।
3.मिथुन लग्न – चन्द्रमा द्वितीयेश होकर पंचम भाव में तुला राशि में स्थित होगा,अतः मोती धारण करने से धन लाभ होगा।
4. कर्क लग्न – चन्द्रमा लग्नेश होकर पंचम भाव में नीच राशि वृश्चिक में स्थित होगा। मोती धारण करने से सन्तान सुख में कमी होगी जिसका कारण आप स्वयं होंग। विद्या प्राप्ति में बाधा आऐगी।
5. सिंह लग्न – चन्द्रमा द्वादशेश होकर पंचम भाव में धनु राशि में स्थित होगा। मोती धारण करना अशुभ है। आमदनी से खर्च अधिक रहेगा।
6.कन्या लग्न – चन्द्रमा लाभेश होकर पंचम भाव में मकर राशि में स्थित होगा अतः मोती धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी। यश-मान में वृद्धि होगी।
7.तुला लग्न – चन्द्रमा अष्टमेश बनता है। पंचम भाव में मेष राशि में यह सन्ताह के लिए हानिकारक है। अतः मोती धारण न करें।
8.वृश्चिक लग्न- चन्द्रमा भाग्येश होकर पंचम भाव में मीन राशि में स्थित होगा, मोती धारण करने से भाग्य की वृद्धि होगी। मोती अवश्य धारण करें।
9.धनु लग्न – चन्द्रमा अष्टमेश बनता है। पंचम भाव में मेष राशि में यह सन्तान के लिए हानिकारक है। अतः मोती धारण न करें।
10. मकर लग्न – चन्द्रमा सप्तमेश होकर पंचम भाव में वृष राशि में स्थित होगा। मोती धारण करने से शादि का योग बन सकता है। लव अफेयर में सफलता प्राप्त होगी।
11. कुम्भ लग्न – चन्द्रमा पंचमेश होकर पंचम भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा। अतः मोती धारण करना हानिकारक हो सकता है।
12.मीन लग्न – चन्द्रमा पंचमेश होकर पंचम भाव में अपनी राशि कर्क में स्थित होग,परीक्षाओं में सफलता मिलेगी।