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कुंडली में बंधन या जेल योग

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मनुष्य जीवन की लीला निराली कभी सुख, कभी दुःख, कभी सुभ यात्रा, कभी कभी जेल यात्रा या लंबे समय को कारागृह में रहना पड़ता है। जेल यात्रा किसको अच्छी लगती है,लेकिन विधि को जो मंजूर वही जीवन में समय-समय पर घटित होता है।बहुत बार तो निरपराध व्यक्ति को भी जेल जाना पड़ता हैI भगवान कृष्ण भी जेल में ही जन्मे थे।

ज्योतिष के अनुसार निम्न योग जेल या कारागृह भेजने में महत्वपूरण भूमिका अदा करते हैं –

    • शनि , मंगल और राहू मुख्य रूप से यह तीन ग्रह एवम् इनका आपसी सम्बन्ध।
    • सभी लग्नों के द्वादेश , षष्ठेश एवम अष्टमेश के अशुभ योग या प्रभाव।
    • अगर कुंडली में मंगल और शनि एक दूसरे को देख रहें हो तो लड़ाई झगड़े के कारण व्यक्ति को जेल यात्रा हो सकती है।
    • -महादशा , अंतर्दशा,प्रत्यंतर दशा भी अशुभ ग्रहों की हो तो भी कारावास जाने की स्थिति बन जाती है ।
    • जन्म कुंडली में द्वितीय भाव में शनि एवं द्वादश भाव में मंगल स्थित हो तो जेल योग बन सकते हैं।
    • लेकिन यदि द्वतीय में शनि और द्वादश में मंगल के साथ किसी भी शुभ ग्रह की युति या प्रभाव हो तो यह योग भंग हो जाता है I
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जेल योग के फलस्वरूप व्यक्ति कैसा भी क्यों न हो उसे जीवन में इस का सामना करना पड़ता है I इस प्रकार जेल योग में बंधनयोग कारक ग्रहों पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो बहुत ही अल्प मात्रा में फल प्राप्त होते है व जेल यात्रा में अधिक कष्ट भी नहीँ होता है I लेकिन यदि जेल योग बनाने वाले पाप ग्रहों पर अन्य पाप ग्रहों या द्वादेश की दृष्टि पड़ रही हो तो जेल यात्रा कष्टकारी व लम्बे समय के लिए हो सकती है I



यह स्थिति यदि कहीं जन्मपत्रिका में ग्रहों के गोचर के कारण बन रही हो तो उस समय में भी बंधन योग अल्प काल के लिए घटित हो सकता है I

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जेल योग यदि शुभ ग्रहों से निर्मित हो रहा हो तो इस बात के संकेत देता है की जातक ने कोई अपराध नहीं किया है अथवा बिना अपराध के सजा भोगनी पड़ रही है I यदि यह योग पाप ग्रहों से से निर्मित हो रहा हो तो इसका अर्थ है की व्यक्ति ने लालच , क्रोध , इर्ष्या या द्वेष की भावना से अपराध किया होगा I