” धनतेरस ” भगवान धन्वन्तरि की पूजा से होती है सुख-समृद्धि व आरोग्य की प्राप्ति
धनतेरस खरीदी एवम पूजा मुहूर्त
धनतेरस मुहूर्त 05 नवम्बर, 2018
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी रात्रि 01:47 तक सोमवार, हस्त नक्षत्र रात्रि 08:37 तक, विष्कुंभ योग रात्रि 10:11 तक उसके बाद प्रीत योग, चंद्रमा कन्या राशि में.
राहुकाल – प्रात: 08:07 – 09:32
अभिजीत मुहूर्त – 11:59 AM से 12:45 PM
अमृत- 06:42 से 08:07
शुभ- 09:32 से 10:57
चर- 13:47 से 15:12
लाभ- 15:12 से 16:37
अमृत – 16:37 से 18:02
चर – 18:02 से 19:37
लाभ – 22:47 से 24:22
स्थिर लग्न –
वृषभ- 17:49 से 19:45
सिहं – 12:16 से 02:30 (अगले दिन )
वृश्चिक- 07:03 से 08:20
कुम्भ- 13:11 से 14:42
– कार्तिक त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक, पांच दिन पर्यन्त दीपावली महोत्सव जारी रहता है।
– कार्तिकमास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। इस दिन भगवान धन्वन्तरि की विशेष पूजन अर्चना की जाती है
– धन्वन्तरि की पूजा से आरोग्य और समृधी की प्राप्ति होती है
– पुराणों में धन्वन्तरि को भगवान विष्णु का अंशावतार भी माना गया है।
– धनवन्तरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की भी पूजा करने की मान्यता है।
– धनतेरस के दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।
– कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआं, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं।
क्या करें –
– इस दिन धन्वंतरी जी का पूजन करें।
– नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।
– सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।
– मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।
– यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।
– हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।
– धनतेरस के दिन 13 दीपक घर के अंदर और 13 घर के बाहर जलाकर रखें। ऐसा करने से घर में दरिद्रता रूपी अंधकार दूर होता है इसके अलावे यह दीपक माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर को आपके घर आने का निमंत्रण देता है।
– माता लक्ष्मी का लाल रंगों के अलावा सफेद रंग भी प्यारा लगता है। इसलिए धनतेरस के दिन यदि आप चीनी, बताशा, खीर, चावल, सफेद कपड़ा आदि अन्य सफेद वस्तुएं दान करते हैं तो आपको कभी धन की कमी नहीं होगी। साथ ही जमा किया हुआ धन भी बढ़ेगा और आपके कामों में आ रहीं बाधाएं भी दूर होंगी।
– धनतेरस के दिन गाय माता को हरा चारा जरूर खिलाएं इससे घर में समृद्धि आएगी। गौ माता के लिए रखे गए अन्न को उन्हें खिलाने से धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होती है।
– इस दिन आप किसी मंदिर में जाकर केले का पेड़ या कोई सुगंधित पौधा लगाएं। ये पौधा आपको जीवन में उतनी ही अधिक सफलता मिलेगी। साथ ही आपको नौकरी और बिजनेस में उन्नति मिलेगी।
– इस दिन नए बर्तन के साथ-साथ झाड़ू भी लाना चाहिए इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
– धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीस कर उस के घोल से घर के मुख्य द्वार पर ऊँ बनाने से धन आएगा।
– धनतेरस पर सोने-चांदी से निर्मित वस्तुओं को खरीदने का ज्यादा चलन है, लेकिन अगर आप अपने ग्रह और नक्षत्र के हिसाब से इस दिन तांबा, पीतल, कांसा के बर्तन की खरीदारी करके भी घर में सुख समृद्धि ला सकते है।
– धनतेरस के दिन गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा खरीदनी चाहिए और उनको पंचामृत में स्नान कराकर उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए। इससे विशेष लाभ प्राप्त होता है।
पुजन सामग्री-
कबेर जी की मुर्ति, लक्ष्मी-गणेश जी की मुर्ति, फुलमाला, फल, दीये, बत्ती, रोली, चावल, चीनी व गंगाजल।
कुबेर जी की पुजन विधि-
- इस दिन सुबह गंगाजल डालकर स्नान करें। कुबेर जी का घ्यान करें। सांय काल को कुबेर जी की विधि पुर्वक पुजा करें।
- सबसे पहले कुबेर जी को लाल कपडा बिछाकर उस पर स्थापित किया जाता है। उसके दायी ओर लक्ष्मी गणेश जी की मुर्ति स्थापित की जाती है।
- फिर उनके चारों ओर गंगा जल डाला जाता है। उसके बाद आप अपना आसान ग्रहण करें।
- आसन ग्रहण करने के बाद भगवान गणेश जी का ध्यान ओम गणेशाय नम: कह कर करें ओर उनकी आरती करें।
- आरती के बाद उन्हे रोली व चावल का तिलक लगा कर फुलमाला चढायें। इसके पश्चात् आशीर्वाद ले।
- गणेश जी की आराधना के बाद मां लक्ष्मी की आराधना ओम महालक्ष्मैं नम: से करे।
- मां लक्ष्मी की आराधना के बाद भगवान कुबेर की आराधना इन दो मंत्र से करे।
। मृत्युना पाशदण्याभ्यां कालेन च मया सह ।
।। त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतमिति ।।
या
। धनदाय नमस्तुभ्यम निधिपद्माधिवाय च ।
।। भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धन धन्यदिसैम्पध ।।
- उसके बाद कुबेर जी का तिलक रोली व चावल से करे। उसके बाद उन्हे फुलमाला चढायें।
- फुलमाला चढाने के पश्चात् उन्हे चीनी का भोग लगाये।
- पुजा के पश्चात् घर के बाहर दो आटे के दीये रखें। ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर हो जाती है।
- अब दिए को अपने घर के गेट के पास रखें। उसे दाहिने तरह रखें और यह सुनिश्चित करें की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।
- इसके बाद यम देव के लिए मिटटी का दिया जलायें और फिर धन्वन्तरी पूजा घर में करें।
धन्वन्तरी पूजा विधि
– सबसे पहले स्नान करके पूजन सामग्री के साथ पूजा स्थल पर पूर्वाभिमुख (पूर्व दिशा की ओर मुंह करके) आसन लगाकर बैठें. उसके बाद नीचे दी गई विधि अनुसार पूजा प्रारंभ करें-
नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण कर पूजन सामग्री और अपने शरीर पर जल छिड़कें
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा.
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:
हाथ में अक्षत, फूल, और जल लेकर पूजा का संकल्प करें.
भगवान धनवंतरी की मूर्ती के सामने हाथ में अक्षत, फूल, और गंगाजल लेकर आवाहन करें.
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवंतरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।
इसके बाद भगवान के आवाहन के लिए जल और चावल चढ़ाएं. फिर फल-फूल, गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली आदि से विधिवत पूजा करें. अब चांदी के सिक्के की पूजा करें. धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करें- धन्वन्तरी मंत्र “ॐ धन्वंतरये नमः का 108 बार जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से भगवन धनवन्तरी बहुत खुश होते हैं, जिससे धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
यमराज के लिए दीपदान
धनतेरस पर दीपदान का भी विशेष महत्व होता है. शाम को दीपदान जरूर करें. घर के मुख्य द्वार पर तिल के तेल का चारमुखी दीपक जलाएं. थाली में यमराज के लिए आटे के तेरह दीपक, सफ़ेद बर्फी, तिल की रेवड़ी या तिल मुरमुरे के लडडू, एक केला और एक गिलास पानी रखें. दीप जलाने का शुभ मुहूर्त शाम 5:30 से शाम 6:30 तक गोधुली बेला रहेगा. घर में अकाल मृत्यु का योग हो, तो वह टल जाता है क्योंकि यह दीपक मृत्यु के देवता यम को प्रसन्न करने के लिए जलाया जाता है।
धन्वंतरि हैं आरोग्य के देवता
आयुर्वेद की चिकित्सा करनें वाले वैद्य धन्वंतरि को आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। दीपावली के अवसर पर कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। कहते हैं कि शंकर ने विषपान किया, धन्वंतरि ने अमृत प्रदान किया, जो सर्वभय नाशक हैं, सररोग नाश करते हैं,
प्राचीनकाल में धनतेरस से लेकर दीपावली तक विभिन्न जड़ी बूटी बनाते थे. यह मन्त्र और सिध्ही का समय है. इस समय तुलसी पूजन, आंवले के वृक्ष का पूजन, आंवले के पेड़ के नीचे बैठ कर भोजन करना, यह सब कार्तिक मास में होता है। जिससे दैहिक, दैविक और भौतिक स्तर पर जीवन स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रह कर प्रकृति की अनुकम्पा मिलती रहे।
धनतेरस में क्या खरीदे
- दक्षिणवर्ती शंख –शंख से निकलने वाली ध्वनि से घर में उत्पन्न नकारात्क ऊर्जा समाप्त होती है तथा घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- हथाजोड़ी –हथाजोड़ी को लक्ष्मी जी का रूप माना जाता है. इसे घर में लाएं और लक्ष्मी माता के साथ इसकी भी पूजा करें। धन प्राप्ति के लिए यह शुभ माना जाता है।
- गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति
- स्फटिक का श्रीयंत्र
- नए बर्तन
- झाड़ू
- कौढ़ियां
- गूंजा
- गोमती चक्र
- रुद्राक्ष
- धनिये के बीज