AstrologyMarital Issues

कैसा होगा आपका जीवन साथी

429views

विवाह योग्य प्रत्येक कन्या के मन में एक बार यह प्रष्न अवष्य जाग्रत होता है कि उसका भावी वर कैसा होगा, क्या करता होगा, कहाॅ से होगा तथा किस स्थिति का होगा तथा उसके साथ व्यवहार कैसा होगा। यह सारी बातें उस कन्या की कुंडली के सप्तम भाव, सप्तमेष तथा सप्तमस्त ग्रह तथा नवांष के अध्ययन से मूलभूत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। सप्तमभाव या सप्तमेष का किसी से भी प्रकार से मंगल, शनि या केतु से संबंध होने पर विवाह में बाधा, वैवाहिक सुख में कमी का कारण बनता है वहीं शुक्र से संबंधित हो तो वर आकर्षक तथा प्रेमी होगा तथा उसकी आर्थिक स्थिति तथा भौतिक चाहत भी अच्छी होगी। गुरू, बुध हेाने पर जीवनसाथी बुद्धिमान, उच्च पद में हो सकता है किसी भी प्रकार से राहु से संबंध बनने पर व्यसनी, काल्पनिक व्यक्तित्व हो सकता है वहीं चंद्रमा के होने पर भावुक किंतु आलसी होगा। सूर्य या राहु से संबंधित होने पर राजनीति या प्रषासन से संबंधित होने के साथ रिष्तों में अलगाव दिखाई दे सकता है ऐसी स्थिति सप्तम या सप्तमेष का किसी भी प्रकार का संबंध 6,8 या 12 वे भाव से बनने पर भी दिखाई देता है। वहीं पर लग्नेष, पंचमेष, सप्तमेष या द्वादषेष की युक्ति किसी भी प्रकार से शनि के साथ बनने पर प्रेम विवाह का योग बनता है साथ ही कन्या के दूसरे स्थान पर विषेष ध्यान देना आवष्यक होता है क्योंकि इससे पति की आयु, आरोग्यता का निर्धारण किया जाता है। अतः इन ग्रहों के विपरीत फलकारी होने पर या कू्रर ग्रहों से आक्रांत होेने पर सर्वप्रथम इन ग्रहों से संबंधित निदान कराने के उपरांत ही कन्या का विवाह कराना उचित होता है साथ ही कुंडली मिलान में नौ ग्रहों के मिलान कर उपयुक्त वर तलाष कर कन्या का विवाह किया जाने पर कन्या को अपना मनचाहा वर तथा परिवार की प्राप्ति होती है।

ALSO READ  Aaj Ka Rashifal 21 April 2023: आज इन राशियों को व्यावसायिक मामलों में मिलेगी सफलता