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जानें,मिथुन लग्न की खास बातें…

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मिथुन लग्न

मिथुन लग्न की कुण्डली में शनि अष्टम भाव व नवम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में शनि की मूल त्रिकोण राशि नवम में होने से ज्यादा फल भाग्य स्थान का ही देगा। क्योकि अष्टम भाव की बुराई की अपेक्षा नवम भाव की अच्छाई व शुभता ज्यादा ठीक होती है तथा शनि लग्नेश बुध का भी मित्र है। इसलिए इसकी दशा या अंत्तरदशा में नीलम को पहना जा सकता है

अगर शनि आपकी कुण्डली में लग्न में द्वितीय, तृतीय, पंचम, नवम, व दशम, स्थान मे बैठा हो तो आपको नीलम पहनने से बहुत ज्यादा लाभ होगा। अगर, चैथे, छठे, सप्तम, एकादश, अष्टम, व द्वादश में बैठा हो तो इसके पहनने से आपको भाग्य धन, मान-सम्मान की हानि होगी। नीलम को पन्ने के साथ पहनने से ज्यादा लाभ होगा

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लाभ

शनि इस लग्न में मुख्यतः भाग्य स्थान का ही फल करेगा। भाग्य को बढ़ायेगा, आयु की वृद्धि करेगा। राज्यकृपा की वृद्धि करेगा, पिता की आयु, स्वास्थ्य और धन की वृद्धि करेगा। छोटा साला व छोटी साली, छोटे भाई की पत्नी, व छोटे जीजा के स्वास्थ्य को वृद्धि करेगा।धर्म में भी अधिक रूचि उत्पन्न करेगा। अगर आपकों भाग्य हानि हो रही हो तो आप नीलम धारण कर सकते है। उसको पहनने से आपको अचानक लाभ प्राप्त होगा। अगर आपका शनि अष्ठम स्थान में स्थित है तो यह आपकी आयु वृद्धि करेगा। अगर आपकों कोई बीमारी है तो उसमें लाभ करेगा। अगर आप एम.एल.ए. , मंत्री, गवर्नर, आई.एस, आई.पी.एस. बनना चाहते है तो नीलम बनाने में सहायक सिद्ध होगा।