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Nag Panchmi 2019: नागपंचमी व्रत से पायें सर्पदोष से मुक्ति, सालों बाद ऐसा संयोग

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Kaal sarp dosh: आज श्रावण मास का तीसरा सोमवार है और आज ही नाग पंचमी भी है। ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार यदि जन्म कुंडली के लग्न चक्र में समस्त ग्रह राहु व केतु के मध्य में आते हैं तो सम्पूर्ण कालसर्प दोष होता है। यदि कोई एक ग्रह बाहर है तो आंशिक दोष होता है।

नागपंचमी व्रत से पायें सर्पदोष से मुक्ति –

श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन नागों का पूजन किया जाता है। सालों बाद ऐसा संयोग लग रहा है जब सावन के सोमवार के दिन नाग पचंमी का पर्व पड़ रहा है। जिसके कारण इस पर्व का फल दोगुना मिलेगा। संयोग के साथ-साथ इस दिन यायीजयद योग के साथ हस्त नक्षत्र है। इस दिन व्रत करके सांपों को दूध पिलाया जाता है। गरूड़ पुराण में उल्लेख है कि इस दिन अपने घर के दोनों किनारों पर नाग की मूर्ति बनाकर पूजन करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि का स्वामी नाग है। अर्थात् शेषनाग आदि सर्पराजाओं का पूजन पंचमी के दिन किया जाता है। श्रावण मास को शिव का मास माना जाता है साथ ही चूकि नाग शिवजी के आभूषण माने जाते हैं अतः इस दिन सर्प आदि की पूजा का विधान है। किसी जातक की कुंडली में सर्पदोष हो तो या कालसर्प दोष हो तो उसे इस दिन विधि विधान से सर्प पूजन कर दान आदि देने से जीवन में कालसर्प दोष से उत्पन्न बाधा दूर होती है। माना जाता है कि शिवजी द्वारा विषपान करने से उत्पन्न उनके शरीर के विष को दूर करने के लिए सर्प आदि देवताओं ने उनका विष अपने शरीर में धारण कर लिया था, जिसके उपरांत शिवजी ने उन्हें अपने गले में धारण किया। माना जाता है कि जिस दिन सभी सर्पो ने शिवजी की रक्षा की वह दिन पंचमी का दिन था, उसी दिन उन्हें सभी देवों ने वरदान दिया कि पंचमी को श्रावण मास के दिन उनकी विधिवत् पूजन की जावेगी। इस पूजन से सभी प्रकार के शारीरिक व्याधि से भी राहत मिलती है।

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नागपंचमी के दिन इससे मुक्ति का शानदार अवसर आपको प्राप्त होता है। इस दिन कालसर्प-योग की शान्ति हेतु पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यदि भगवान शिव का अभिषेक करते समय उन्‍हें चांदी के नाग और नागिन का जोड़ा अर्पित किया जाए तो कालसर्प दोष की शांति होती है। इस दिन करें निम्न उपाय-



कालसर्प दोष से पीड़ित लोग नागपंचमी को करें ये उपाय

1-त्रयंबकेश्वर में विधिवत इसकी पूजा होती है। वहां ये पूजा कराएं तथा गाय के दूध से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें।
2-शिवलिंग पर नाग नागिन का जोड़ा चांदी का बनवा लें तथा उस पर अर्पित कर दें।
3-शिवमंदिर में अखंड श्री रामचरितमानस का पाठ कराएं।
4-शिवलिंग पर 9 जोड़ी तांबे का नाग नागिन बनवाकर दूध के साथ चढ़ाएं फिर नाग नागिन को नदी में प्रवाहित कर दें।
5-शिवमंदिर में राहु केतु के बीज मंत्र का जप भी करवा सकते हैं।
6-कालसर्प निवारण के लिए चांदी के सर्प में गोमेद जड़वाकर धारण कर सकते हैं।
7-इस दोष का सबसे आसान व कारगर उपाय नासिक में स्थित त्रयम्बकेश्वर मंदिर में ही होता है।वहां इसकी विधिवत पूजा व अनुष्ठान होता है।वहां पहुँचकर उस अनुष्ठान को श्रद्धा पूर्वक सम्पन्न करने से कलसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
6-किसी पवित्र नदी के तट पर पार्थिव का शिवलिंग बनाकर उस पर रुद्राभिषेक करें तथा नाग नागिन अर्पित कर कालसर्प शांति पूजा कराएं।

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नाग पंचमी पूजा विधि- 
इस दिन महिलाएं दीवारों पर नाग का चित्र बनाकर दूध से स्नान कराके विभिन्न मंत्रों से पूजा अर्चना करती हैं। इससे पहले शिव जी की पूजा होती है। कालसर्प दोष से पीड़ित लोग इस दिन विशेष पूजन कर इसकी शांति कराते हैं। इस दिन दुग्ध से रुद्राभिषेक कराने से प्रत्येक मनोकामना की पूर्ति होती है। प्रसाद में लावा और दूध बांटते हैं। जिनकी कुंडली राहु से पीड़ित हो, वो इस दिन रुद्राभिषेक अवश्य करें।




इस प्रकार नागपंचमी का पर्व कलसर्प दोष से मुक्ति के लिए एक महान तथा पुनीत अवसर है इसका लाभ उठाएं।