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ज्योतिष में राहुकाल क्यों????

ज्योतिष शास्त्र में हर दिन को एक अधिपति दिया गया है। जैसे- रविवार का सूर्य, सोमवार का चंद्र, मंगलवार का मंगल, बुधवार का बुध, बृहस्पतिवार का गुरु, शुक्रवार का शुक्र व शनिवार का शनि। इसी प्रकार दिन के खंडों को भी आठ भागों में विभाजित कर उनको अलग-अलग अधिष्ठाता दिये...

चतुर्मास का माहात्म्य

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।। लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिध्र्यानगम्यं। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।। जिनकी आकृति अतिशय शांत है,...

दिशाओं से जीवन में समृद्धि

व्याधिं मृत्यं भय चैव पूजिता नाशयिष्यसि। सोऽह राज्यात् परिभृष्टः शरणं त्वां प्रपन्नवान।। प्रण्तश्च यथा मूर्धा तव देवि सुरेश्वरि। त्राहि मां...

मौन व्रत का महत्व

मौन व्रत भारतीय संस्कृति में सत्य व्रत, सदाचार व्रत, संयम व्रत, अस्तेय व्रत, एकादशी व्रत व प्रदोष व्रत आदि बहुत...

पंचतत्व का महत्व

ईश्वर यानी भगवान ने अपने अंश में से पांच तत्व-भूमि, गगन, वायु, अग्नि और जल का समावेश कर मानव देह...

दुर्गा सप्तशती का पाठ

दुर्गासप्तशती का पाठ दो प्रकार से होता है- एक साधारण व दूसरा सम्पुट। सप्तशती में कुल सात सौ मंत्र हैं।...
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