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हाथ की रेखाओं में राहु

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सामान्यतः मंगल से निकलकर जीवन व भाग्य रेखा को काटकर मस्तिष्क रेखा को छूने या उसे भी काटकर हृदय रेखा तक जाने वाली रेखाएं, ‘राहु रेखा’ कहलाती है। हाथों में इनकी संख्या एक से लेकर तीन या चार तक होती हैं। मोटी ‘राहु रेखाएं’ अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। ये रेखाएं दोषपूर्ण लक्षण हैं क्योंकि जिस आयु में ये मस्तिष्क-रेखा, भाग्यरेखा व जीवन रेखा को काटती हैं, परेशानी रहती है। जीवन रेखा को काटने पर कुटुम्ब, संतान तथा स्वास्थ्य, भाग्य रेखा को काटने पर जीवनसाथी को रोग व व्यापारिक चिंता तथा मस्तिष्क रेखा को काटने पर ये उस आयु में किसी संबंधी की मृत्यु, हानि या बुखार का संकेत करते हैं, हृदय रेखा को छूने पर उस आयु पर किसी प्रेमी की मृत्यु या बिछोह का संकेत है। मंगल से आकर मस्तिष्क रेखा पर रुकने वाली ‘राहु रेखा’ मस्तिष्क रेखा को काटकर जाने की अपेक्षा अधिक हानिकरक होती है और यदि यह मस्तिष्क रेखा व जीवन-रेखा को काटने के बजाय दोनों पर ही रुकती हो तो अत्यंत दोषपूर्ण होती हैं। यदि यह जीवन व मस्तिष्क रेखा के निकास के पास हो तो विश्ेाष दोषपूर्ण फल करती हैं। इस आयु में जीवन में उथल-पुथल, रोग, स्थान परिवर्तन, राज-भय, मृत्यु, दुर्घटना आदि फल होते हैं। ‘राहु-रेखा’ थोड़ी भी दोष-पूर्ण होने पर पतन की ओर ले जाती है। ऐसे व्यक्तियों को जेल भय, चोरी, दुर्घटना, कत्ल या रोग आदि का सामना करना होता है। उत्तम हाथ में निर्दोष व लंबी राहु रेखा व्यक्ति को ‘राष्ट्रीय-सम्मान’ प्राप्ति की पुष्टि व विशेष उन्नति की सूचक होती है। इस प्रकार की निर्दोष रेखाएं मंत्रियों, बड़े व्यापारियों या शोधकर्ताओं (वैज्ञानिकों) के हाथों में पाई जाती हैं। निर्दोष ‘राहु रेखाएं’ होने पर यदि मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा समानांतर हों तो ऐसे व्यक्ति नया अन्वेषण करके ‘राष्ट्रीय सम्मान’ प्राप्त करते हैं। ‘मस्तिष्क रेखा’ शाखा युक्त द्विभाजित हो तो इससे भाग्य रेखाएं निकलने पर ‘सम्मान प्राप्ति’ में केाई शंका नहीं रहती। नौकरी होने पर कोई विशेष प्रमाण-पत्र, सम्मान या पदक मिलता है जो जीवन में महत्व रखता है। इनके संबंध सेना के बड़े आॅफिसर या मंत्रियों आदि से होते हैं। मस्तिष्क रेखा या इसकी शाखा बुध पर जाने की दिशा में यदि ‘राहु-रेखा’ से बुध पर बड़ा द्वीप बनता हो तो व्यक्ति सम्मानित व शक्ति सम्पन्न होता है। ऐसे व्यक्ति मंत्री होते हैं मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा या जीवन रेखा में दोष होने पर, ‘राहु रेखा’ दोषपूर्ण फलों में वृद्धि करती है। जैसे-जैसे इन रेखाओं में सुधार होता है इसका फल भी उत्तम होता जाता है। उत्तम हाथ में निर्दोष ‘राहु रेखा’ महानता की सूचक है। जीवन-रेखा से निकलकर मस्तिष्क रेखा में मिलने की दशा में ‘राहु-रेखा’ सीधी न होकर कुछ गोलाकार हो तो अधिक दोषपूर्ण होती है (चित्र ब्.ब्1 देखें)। इस राहु रेखा के कारण टांग टूटना, कंधे में चोट, चोरी से हानि, जादू-टोने का भ्रम ‘जीवन रेखा’ दोषपूर्ण होने की स्थिति में खराब स्वास्थ्य, इनको या इनकी पत्नी के दांतों में रोग आदि घटनाएं होती हैं। ‘राहु रेखाएं’ पास-पास दो या तीन होने पर यदि निर्दोष भी हों और हाथ अच्छा हो तो ऐसे व्यक्ति राजनीति में ऊँचे पदों पर पाये जाते हैं। इन्हें राष्ट्र-सम्मान भी प्राप्त होता है। तीन ‘राहु रेखाएं’ होने पर गोद की संपत्ति का लाभ होता है। दो या अधिक रेखाओं से मिलकर ‘मस्तिष्क रेखा’ पर द्वीप बनता हो तो वंश में जवान-मृत्यु का संकेत है, ऐसी दशा में कई मृत्यु भी होती है। यदि ‘मस्तिष्क रेखा’ टेढ़ी हो तो इसमें केाई शंका नहीं रहती। मंगल से दो ‘राहु-रेखाएं’ एक साथ पास-पास निकलकर जब शनि के नीचे ‘मस्तिष्क रेखा’ को छूती हों तो ऐसे व्यक्तियों का मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता । शुक्र व चंद्रमा उन्नत या जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष होने पर वहम या सनक होती है। इन्हें भूत-प्रेत, छाया-पुरुष या किसी ऐसी बाहरी शक्ति का प्रभाव होता है। इनके कानों में बाहर से कोई आवाज सुनाई देती है और ये उसी के अनुरूप आचरण करने को बाध्य होते हैं। कई बार तो इस आवेश में हत्या तक कर देते हैं। अपने आप से बातें करना, ध्यान में कोई दिखाई देना, मस्तिष्क पर दूसरे का नियंत्रण या प्रभाव मालूम होना आदि लक्षण इस दशा में प्रतीत होते हैं। स्मरण रखें यह ‘राहु रेखा’ मस्तिष्क रेखा पर शनि (अंगुली मध्यमा) के नीचे ही रुकती हो, दूसरे स्थान पर नहीं। ‘राहु रेखा’ पर बना हुआ ‘त्रिकोणात्मक-द्वीप’ स्त्री के हाथ में हो और जीवन रेखा में दोष, शुक्र उन्नत व अन्य वासनात्मक लक्षण हों तो ऐसी स्त्रियां बड़ी आयु के व्यक्तियों से लम्बे समय तक यौन सम्पर्क रखती हैं। स्त्रियों को यह लक्षण होने पर रक्त स्राव, गर्भपात आदि दोष भी पाये जाते हैं। मंगल-रेखा होने पर ऐसी स्त्रियां अपने प्रेमियों से धन व संपत्ति का लाभ प्राप्त करती हैं, परंतु इस दशा में अन्य रेखाओं में दोष नहीं होना चाहिए। चंद्रमा क्षेत्र से निकल कर मोटी-भाग्य-रेखा, हृदय रेखा पर रुकने, शुक्र अधिक उन्नत और हृदय रेखा सीधी बृहस्पति पर जाने की दशा में निश्चित ही ऐसी स्त्रियों के अनैतिक संबंध पाये जाते हैं। किन्हीं हाथों में शुक्र क्षेत्र से निकलकर एक रेखा जीवन रेखा को काटती हुई चंद्रमा पर जाती है। यह भी ‘राहु रेखा’ कहलाती है । ऐसे व्यक्ति चरित्रहीन होते हैं। चरित्र संबंधी गिरावट के विषय में इनका कोई स्तर नहीं होता। माँ, बहन, बेटी या अन्य पवित्र संबंधों पर भी इनकी बुरी दृष्टि रहती है। ये शराबी, जुआरी होते हैं। हाथ पतला, काला, मस्तिष्क व हृदय रेखा दोषपूर्ण होने पर तो सभी कलाओं में पारंगत होते हैं: ‘राहु रेखा’ वास्तव में मुख्य न होकर गौण रेखा है। परंतु फल के विषय में बहुत महत्वपूर्ण है, अतः भली भांति देखकर व अन्य लक्षणों से समन्वय करने के पश्चात् इस रेखा का फल कहने से ‘चमत्कारिक फल’ प्राप्त होते हैं…

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