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नारी के कितने स्वरुप

चहुंमुखी अर्थात सम्पूर्णता के साथ किया गया वरण (चयन) ही आवरण कहलाता है। वरण में कामना रहती है और माया का ही दूसरा नाम कामना है। अत: माया और आवरण पर्यायवाची कहलाते हैं। वरने की प्रक्रिया को वरण कहते हैं। इसमें मांगना, चुनना, छांटना आदि क्रियाएं समाहित होती हैं। कामना-इच्छा...

मन के कारक चंद्र

मन के कारक चंद्र से पूरा का पूरा व्यक्तित्व निर्मित होता है। कुण्डली में मुख्य रूप से लग्न और तृतीय...

रावन कौन है

पुलत्स्य ऋषि के उत्कृष्ट कुल में जन्म लेने के बावजूद रावण का पराभव और अधोगति के अनेक कारणों में मुख्य...

गुरु ही आपके गुरु है

गुरूब्र्रह्मा गुरूर्विष्णु गुरूर्देवो महेश्वर:। गुरु: साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:॥ गुरु का अर्थ है अंधकार या अज्ञान और...

दशहरा पर्व की उत्पत्ति

दशहरा उत्सव की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनायें की गयी हैं। भारत के कतिपय भागों में नये अन्नों की...

अचानक धनी बनने के योग

लोग अचानक धनी बनने का ख्वाब पाल लेते हैं। उनमें बिना अधिक श्रम किए समृद्ध होने की लालसा इतनी प्रबल...

Nabhas yoga

There are 32 main Nabhasa Yogas, which are classified in four categories. The word Nabhasa means the sky. As such,...

Importance of nakshatras

Naksha" is "map" and "tara" is "star" and so Nakshatra is "Star Map." In the eyes of the ancient Vedic...

Livelihood from planet saturn

An individual experiences these good and bad results in the Dasa Bhukti of the planets posited in different houses of...

कुंडली में धन योग

धन जीवन की मौलिक आवश्यकता है। सुखमय, ऐश्वर्य संपन्न जीवन जीने के लिए धन अति आवश्यक है। आधुनिक भौतिकतावादी युग...

कुंडली में ग्रहण योग

काल सर्प योग की अशुभता को बढ़ा देता है ग्रहण योग । इस योग का विस्तृत फल भी प्राप्त होता...

व्यक्तित्व विकास एवं समायोजन

विकास का अर्थ विकास एक प्रक्रम है, जिसे प्रेक्षण और उत्पाद जाना जा सकता है। विकासात्मक परिवर्तन, व्यक्तित्व की संरचना...
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