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”राजयोग जैसा की नाम से ही पता चलता है की राजयोग कोई येसा योग है जो एक साधारण से इन्सान को राजा बना सकता है। जब कोई कुण्डली को देखता है और जातक को बताता है की आपकी कुण्डली में राजयोग है, तो जातक के चहरे पर एक मधुर मुस्कान अपने आप ही आ जाती है और मुस्कान का आना लाजमी भी है। आज की दुनियाँ में एक इन्सान दु:ख के साथ जी कर सुख की आशा करता ही रहता है। जब कोई ज्योतिषी कहता है की राजयोग है तो वह आशा को और बल मिलता है और मुस्कान आ जाती है। राजयोग कुण्डली में कई तरह से बनते है, जिनमे बुधादित्य राजयोग तो लगभग 40 प्रतिशत कुण्डलियों में देखा जाता है। लेकिन देखने में तो ये मिलता है की राजयोग भोगने बाले 40 प्रतिशत से भी बहुत कम है। अभी तो हम केवल एक राजयोग की बात कर रहे है, जबकि राजयोग भी कई तरह योगो के कारण बन जाते है। फिर तो प्रतिशत और भी बढ़ जाता है। तो क्या राजयोग केवल एक भ्रान्ति मात्र है? नहीं ऐसा भी नहीं है। राजयोग बनना और फलित होना दो अलग अलग विषय है। राजयोग तो बहुत कुण्डलियों में बनते है लेकिन वो कार्यकेश है भी या नहीं, फिर वो जीवन काल में फलित होंगे या नहीं। इस का निर्णय होने के बाद ये कहा जा सकता है की जातक की कुंडली में बना राजयोग उसे किस पद तक पंहुचा सकता है।
राजयोग का फल हमारे ज्योतिष ग्रंथो में लिखा है कि जातक राजा, महाराजा, जागीरदार, बड़े मंत्री, बहुत अधिक पैसे वाला, बहुत से घोड़े और पालतू पशुओं का मालिक इत्यादि लिखा हुआ है। पर जब इस ग्रंथों की रचना हुई होगी तब यही राजयोग के फल होते होंगे। पर आज इनकी परिभाषा बदल गई है। जिनकी कुंडली में राजयोग कारकेश होकर फलित होगा, उन्हें ये योग राजनीति में पद, विधायक या सांसद चुनाव का टिकिट मिलना, बहुत सी गाडिय़ों का मालिक होना, बहुत बड़ा व्यापारी होना, फेक्ट्री होना ,बड़ी नौकरी होना मंत्री पद मिलना जैसे फल देता है। आप सभी सोच रहे होंगे की अब तो हम भी सपने दिखाने लगे। नहीं मित्रों ये सपना नहीं है ये परम सत्य है। लगभग 50 प्रतिशत से 55 प्रतिशत कुण्डलियों में राजयोग बनता है पर इनमे से केवल 07 प्रतिशत से 08प्रतिशत में कारकेश होता है और फलित तो केवल 01 प्रतिशत लोगों की कुण्डली में ही हो पाता है। लेकिन राजयोग बनने से इन्सान के स्वभाव में बहुत ज्यादा परिवर्तन आ जाता है। उसे एक अच्छा वक्ता, व्यवहार कुशल, सभी मित्रों आदेश देने वाला, चहरे पर तेज लिये हुये, निडर और निर्णय लेने बाला बना देता है। ये गुण उन सभी 55 प्रतिशत कुण्डलियों में देखने को मिलता है। इसका मतलब ये तो है की राजयोग अगर आपकी कुण्डली में बना है तो कुछ परिवर्तन तो जरूर होगा ही, ये परम सत्य है।
हमने कई ऐसे लोगो के बारे में पढ़ा या सुना होता है की वो एक साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद भी भारत क्या पूरे विश्व में अपनी एक अमिट पहचान बनाने में सफल रहे। अगर हम कभी उनकी कुंडली देखे तो हमें देखने मिलता है की उनकी कुण्डली में बहुत से अच्छे योग बने होते है। लेकिन उन सभी बने योगो में राजयोग जरूर होगा, केवल होगा ही नहीं अपितु कारकेश होकर फलित भी हुआ होगा। जो उनके साथ हुआ उनकी कुंडली में बने योगो के कारण ही हुआ। चलो जाते जाते आपको एक राजयोग के बारे में बताये जाते है।
त्र्यार्घे: खेटै: स्वोच्चागै: केन्द्र्संस्थै: स्वक्षर्स्थैर्वा भूपति: स्यात्प्रसिद्ध:।
पन्चाघैस्तैरान्यवंश्प्रसूतोह्यपर्वीनाथो वारनाश्वोघयुक्त:।।
अर्थ: यदि किसी की कुण्डली में तीन या अधिक ग्रह उच्च के होकर या स्वराशी के होकर केन्द्र में बैठे हो तो वाह प्रसिद्ध राजा होता है। और यदि पांच ग्रह उच्च के या स्वग्रही होकर बैठे हो तो वाह जातक किसी भी वंश में पैदा होकर पृथ्वी पति बनता है उसके पास हाथी घोड़ों के झुण्ड होते है अर्थात वाह वैभव साली राजा होता है।
हमारी अपनी सोच: जिसकी कुंडली में तीन ग्रह उच्च के या स्वग्रही होकर बैठे हो वो जातक अपने प्रदेश में बहुत नाम कमाता है। चाहे वह मंत्री बनकर कामये या व्यापारी बनकर और जिसकी कुण्डली में पांच ग्रह उच्च के या स्वग्रही होकर बैठे हो बो पूरे देश के लिये एक विशेष पहचान होता है।
हमने कई ऐसे लोगो के बारे में पढ़ा या सुना होता है की वो एक साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद भी भारत क्या पूरे विश्व में अपनी एक अमिट पहचान बनाने में सफल रहे। अगर हम कभी उनकी कुंडली देखे तो हमें देखने मिलता है की उनकी कुण्डली में बहुत से अच्छे योग बने होते है। लेकिन उन सभी बने योगो में राजयोग जरूर होगा, केवल होगा ही नहीं अपितु कारकेश होकर फलित भी हुआ होगा। जो उनके साथ हुआ उनकी कुंडली में बने योगो के कारण ही हुआ। चलो जाते जाते आपको एक राजयोग के बारे में बताये जाते है।
त्र्यार्घे: खेटै: स्वोच्चागै: केन्द्र्संस्थै: स्वक्षर्स्थैर्वा भूपति: स्यात्प्रसिद्ध:।
पन्चाघैस्तैरान्यवंश्प्रसूतोह्यपर्वीनाथो वारनाश्वोघयुक्त:।।
अर्थ: यदि किसी की कुण्डली में तीन या अधिक ग्रह उच्च के होकर या स्वराशी के होकर केन्द्र में बैठे हो तो वाह प्रसिद्ध राजा होता है। और यदि पांच ग्रह उच्च के या स्वग्रही होकर बैठे हो तो वाह जातक किसी भी वंश में पैदा होकर पृथ्वी पति बनता है उसके पास हाथी घोड़ों के झुण्ड होते है अर्थात वाह वैभव साली राजा होता है।
हमारी अपनी सोच: जिसकी कुंडली में तीन ग्रह उच्च के या स्वग्रही होकर बैठे हो वो जातक अपने प्रदेश में बहुत नाम कमाता है। चाहे वह मंत्री बनकर कामये या व्यापारी बनकर और जिसकी कुण्डली में पांच ग्रह उच्च के या स्वग्रही होकर बैठे हो बो पूरे देश के लिये एक विशेष पहचान होता है।