अनन्त नामक कालसर्पयोग-
लग्न से लेकर सप्तम भाव पर्यन्त राहु-केतु के मध्य या केतु-राहु के मध्य फंसे ग्रहों के कारण अनन्त कालसर्पयोग बनता है। ऐसे जातक को व्यक्तिक निर्माण के लिए,आगे बढ़ने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता हैं।
इसका प्रभाव इनके गृहस्थ जीवन पर भी पडता है।तथा इनका वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है। ऐसा मनुष्य अपने कुटुम्बियों से नुकसान पाता है। मानसिक परेशानी पीछा नहीं छोडती। एक के बाद एक अनन्त मुसीबत आती ही रहती है। अपने व्यक्तित्व निर्माण हेतू निरन्तर संघर्ष बना रहता है।
अनंत कालसर्प योग के असर
इस तरह के जातकों को स्वास्थ्य सम्बन्धी विकार घेरे रहते है | ये विकार कभी कभी चिंताजनक बीमारियों का रूप भी लेते है |
इन जातकों को नौकरी पेशे तथा पारिवारिक जीवन में भी परेशानियां आती है |
इन जातको को आर्थिक तौर से भी नुक्सान हो सकता है | इन जातकों को शेयर , लोटरी, सूद में बड़ी दिलचस्पी होती है पर ये इनमें फायदे की बजाय नुकसान उठाते है |
अनंत कालसर्प योग के उपाय
आइये अब जानते है इस दोष के लिए हिन्दू ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार क्या उपाय है ? ये उपाय जातक अपने ज्योतिष की राय से अपना सकते है और दोष के दुष्प्रभावों से बच सकते है |
- पंचाक्षरी मंत्र का मंत्रोंचारण
- विशेष दिनों पर व्रत
- पीपल के पेड़ की पूजा
- भगवान शिव की आराधना
- नाग देवता की पूजा
- महामृत्युंजय मंत्र जाप