द्वितीय स्थान से अष्टम पर्यन्त पडे ग्रह स्थिति के कारण कुलिक नामक कालसर्पयोग बनता है। इस योग के कारण धन को लेकर जातक के जीवन में संघर्ष रहता है। अपयश,परेशानियों तथा खर्च की बाहुल्यता रहती है।
पैसा पास में टिकता नहीं। स्वास्थ्य में नरमा-गरमी बनी रहती है। यह योग ज्यादा पीडादायक है। दिमाग गर्म रहता है। निरन्तर परेशानी के कारण व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता हैं। धन प्राप्ति हेतू किये गये प्रयासों में सफलता नहीं मिलती। व्यक्ति कुलिन होते हुए भी कंगाल हो जाता है।
कुलिक कालसर्प दोष के लाभ
कालसर्प दोष लगभग व्यक्ति विशेष के अनुसार 47 साल तक प्रभावित करता है | और इस दोष के समाप्त होने पर जातक को अच्छे परिणाम मिल सकते है |
कुलिक काल सर्प दोष के उपाय
काल सर्प दोष पूजा इस योग के सभी दुष्प्रभाव को समाप्त करने के लिए अति आवश्यक है । इस पूजा से जातक अकाल मृत्यु का भय टाल सकते हैं। यह पूजा भगवान शिवजी की स्तुति के साथ की जाती है। कुलिक काल सर्प दोष के उपायों द्वारा इसके नकारात्मक प्रभाव से जातक को बचा सकता है ।जातक को धन प्राप्ति व धन की बचत में मदद मिलती है ।इससे वार्तालाप में दक्षता आती है और जातक को सगे संबंधियों से मदद मिलती है ।उसका अपने समाज में अच्छा प्रभाव बना रहता है । दुर्घटना से बचा रहता है। जहर, दुर्घटना, सांप के काटने और आत्महत्या से होनी वाली अकाल मृत्यु से बचाता है।इसका उपाय 81000 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना है। इसका समापन भगवान शिव के कलशपरमपूजा के साथ होगा।लोग इस पूजा के दौरान भगवान शिव को दूध, दही, शक्कर, धतूरा, भस्म और चांदी के नाग-नागिन के जोड़े चढ़ाते हैं। साथ ही लोग चंदन, चावल, गंगा जल, बेल पत्र, सफेद अकोडे का फूल, कमल का फूल और फल भगवान शिव को अर्पित करते हैं।हमारे पंडित जी विभिन्न स्थानों में यह उपाय करते हैं जहां ज्योतिलिंग हैं। और ऐसे शिव-लिंग वाराणसी, दिल्ली, उज्जैन और जयपुर में भी हैं। अत्यधिक जानकार ब्राह्मण और वैदिक ज्योतिषी मिलकर इस उपाय को करते हैं। संकल्प को फोन पर भी लिया जाता है और प्रसाद और भबुत को कूरियर के माध्यम से भेजा जाता है ।