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जानें,मंदिर में घंटी क्यों बजाई जाती है ?

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मंदिर में घंटों की गूंज, आस्‍था या फिर कुछ और, जानने के लिए पढ़ें ये

मंदिरों में आपने बड़े-बड़े घंटे और घंटियां लटके देखे होंगे। मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्‍त पूरी श्रद्धा के साथ इन्‍हें बजाते हैं। प्राचीन समय से ही देवालयों और मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाए जाने की शुरुआत हो गई थी। इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं।

मूर्तियों में जागती है चेतना

घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है। यही वजह है कि सुबह-शाम मंदिर में जब भी पूजा और आरती होती है तो एक लय में घंटे या घंटियां बजाई जाती हैं। ताकि वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति हो।

घर में भी इसलिए लगाई जाती है विंड चाइम

घर में विंड चाइम लगाने का उद्देश्‍य भी सकारात्‍मक ऊर्जा का घर में आगमन होता है। विंड चाइम की ध्‍वनि घर में सकारात्‍मक ऊर्जा की तरंगें उत्‍पन्‍न करती है, जो घर के वातावरण को सदैप खुशनुमा बनाती है।

मंदिर में घंटे बजाने से दिमाग पर होता है ये असर

मंदिर में प्रवेश करने पर घंटा बजाते ही हमारे दिमाग में चल रहे सभी विचार घंटे की आवाज के आगे पूरी तरह से हट जाते हैं और मन पूरे श्रृद्धाभाव से प्रभु की भक्ति में लीन हो जाता है। घंटे की आवाज हमारे मन को एकाग्रचित करके भगवान की ओर ले जाती है।

कई प्रकार की धातुओं को मिलाकर बनाए जाते हैं घंटे

घंटा बजाने से जो ध्‍वनि उत्‍पन्‍न होती है वह कई धातुओं के सम्मिश्रण के कारण आती है। घंटे को निर्मित करने में कैडमियम, तांबा, जस्‍ता, निकिल, सीसा, क्रोमियम और मैग्‍नीज जैसी धातुओं का इस्‍तेमाल होता है। केवल इन धातुओं ही नहीं इन्‍हें कितनी मात्री में मिलाया गया है, इस पर भी घंटे की आवाज निर्भर करती है।

घंटा बजने पर होने वाली क्रिया

घंटे को इस प्रकार बनाया जाता है कि इसकी आवाज दिमाग के दाएं और बाएं हिस्‍से को मिलाने का काम करे। घंटे को एक बार बजाने पर उसकी आवाज वातावरण में कम से कम 7 सेकंड तक गूंजती है।