शनिदेव को प्रसन्न, जानें शनिवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती और महत्व
शनिवार का व्रत क्यों करें ? शनि का व्रत किस प्रकार किया जाता है ? क्या शनिवार का व्रत करने से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं? शनि की उपासना करने से शनि से संबंधित सारी परेशानियां मिट जाएगी? सनिदेव का व्रत करने से शनि देव कैसे प्रसन्न होंगे? इसमें ऐसी कौन सी खास बात है जिसको करने से सारी परेशानियां मिट जाएगी?
शनि देव के कारण यदि कोई बहुत बड़ी परेशानी आ रही है रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन जैसे ही शनि देव की दशा आ गई सारी व्यवस्थाएं बिगड़ गई व्यापार बिगड़ गया अपनों ने साथ छोड़ दिया।
शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां आने लगी सड़क दुर्घटनाएं ज्यादा होने लगी यदि इस प्रकार की समस्याएं आ रही है तो हमें विश्वास है शनिवार का व्रत करने से आपके इन सारी परेशानियां शनि देव जरूर दूर करेंगे शनिवार का व्रत शुरू करने से पहले शनिवार की व्रत कथा को जानते हैं ।
एक बार पूरे नौ ग्रहों में आपस में झगड़ा हो गया सूर्य कहता है मैं सबसे बड़ा हूं क्योंकि मैं पूरी दुनिया को रोशनी से भर देता हूं इसलिए सबसे बड़ा मैं हूं चंद्रमा कहता है मैं मन का कारक हूं मैं लोगों के मन को संचालित करता हूं इसीलिए मैं सबसे बड़ा हूं सभी ग्रह अपनी-अपनी विशेषताओं को प्रकट करने लगे और आपस में लड़ने झगड़ने लगे।
इस बात की पुष्टि नहीं हुई की सबसे बड़ा ग्रह कौन है इस समस्या को लेकर सभी ग्रह देवराज इंद्र के पास चले गए सभी ग्रहों ने देवराज इंद्र को प्रणाम किया सभी ग्रहों ने देवराज इंद्र से कहा हे देवराज इंद्र आप यह निर्णय कीजिए कि हम सभी नौ ग्रहों में से सबसे बड़ा ग्रह कौन है।ग्रहों की बात सुनकर देवराज इंद्र पहले तो घबरा गए फिर कहा मेरे अंदर इतनी सामर्थ्य नहीं है कि मैं किसी को बड़ा कहूं और किसी को छोटा कहूं एक रास्ता जरूर है जो आप लोगों की समस्याको दूर करेगा
शनिवार के दिन विधिवत रूप से भगवान शनि की पूजा की जाती है। उन्हें शनिवार का अधिष्ठाता देव माना गया है। सनातन धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है जो कर्मों के अनुसार व्यक्ति को फल देते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन व्रत करना सबसे लाभदायक माना गया है।
मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा करता है उसके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है तथा वह हर एक प्रकार के कष्टों से दूर रहता है। जिस व्यक्ति के ऊपर शनि की महादशा होती है उसे भी इससे मुक्ति पाने के लिए शनिवार का व्रत करना चाहिए। यहां जानें शनिवार के व्रत के लिए पूजा विधि, आरती, महत्व और कथा।
शनिवार व्रत पूजा विधि
शनिवार का व्रत रखने वाले लोगों को सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प लेने के बाद घर में शनिदेव की प्रतिमा स्थापित कीजिए। अगर लोहे की प्रतिमा हो तो यह उत्तम माना जाता है। प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान शनि को पंचामृत से स्नान करवाएं और चावलों से बनाए 24 दल के कमल पर इस मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद शनिदेव को काला वस्त्र, फूल, काला तिल, धूप आदि अर्पित करें फिर तेल का दीपक जलाकर उनकी पूजा करें। अंत में कथा का पाठ करके आरती करें।
शनिवार व्रत पूजा आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।