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बेल पत्र तोड़ने के नियम और महत्व 

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बेल पत्र तोड़ने के नियम – 

  • बेल पत्र तोड़ने से पहले भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।
  • पत्ते तोड़ने से पहले बेल के पेड़ को प्रणाम करना चाहिए।
  • चतुर्थी, अष्टमी, नवमी तिथि, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि, अमावस्या और सोमवार को बेलपत्र के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
  • अगर आप भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाना चाहते हैं तो इन तिथियों से एक दिन पहले बेल पत्र को तोड़कर रख लें।
  • बेल पत्र को कभी भी पूरी शाखा के साथ नहीं तोड़ना चाहिए।

इस दिन न तोड़े बेलपत्र

शिव पुराण के अनुसार, बेलपत्र उस दिन नहीं तोड़ना चाहिए जिस दिन भगवान शिव को समर्पित दिन होता है। इसलिए सावन सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ने के बजाय एक दिन पहले यानी रविवार के दिन ही बेलपत्र तोड़ लें तो अच्छा है। इसके अलावा महाशिवरात्रि, हर मास की चतुर्दशी तिथि को भी बेलपत्र तोड़ने की मनाही है।

इन तिथियों पर न तोड़ें बेलपत्र

बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें। साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए। साथ ही इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही शिव को अर्पण करना चाहिए।

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बेलपत्र नहीं होता है बासी

बेल पत्र एक ऐसा पत्ता है जो कभी भी बासी नहीं होता है। भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यदि नया बेलपत्र न उपलब्ध हो तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार पूजा में प्रयोग किया जा सकता है।