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आँवला नवमी
यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को ’आँवला नवमी’ नाम से प्रसिद्ध है। सतयुग का प्रारम्भ भी इस दिन हुआ था। इसी तिथि को गौ, सुवर्ण वस्त्र आदि दान देने से ब्रम्हहत्या जैसे महापातक से भी छुटकारा मिल जाता है।
इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। पूजन विधान में प्रातःकाल स्नान करके आँवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर उन्मुख होकर शोडषोपचार पूजन करना चाहिए।
फिर उसकी जड़ में दूग्धधारा गिराकर चारों ओर कच्चा सूत लपेटें तथा कर्पूर वर्तिका से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करें। आँवला वृक्ष के नीचे ब्राम्हण भोजन तथा दान देने का विशेष फल हैै।