शनिदेव से बचने के लिए करें पीपल की पूजा…
पीपल की पूजा (शनि की पूजा)
पीपल की पूजा आजकल सभी वृक्षों से अधिक होती है। कुछ लोग शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए पीपल की पूजा करते हैं, तो कुछ प्रेमबाधा से मुक्ति पाने के लिए ऐसा करते हैं। पर पीपल के पूज्यनीय होने के पीछे कुछ अन्य कारण भी हैं। कहते हैं कि ब्रम्हा के पुत्र और भगवान् शिव के श्वसुर दक्ष्रा की 27 कन्याएँ हुईं। पुष्य को सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ और बलवान् माना गया है। विवाह को छोड़कर शेष सभी कार्य इस मध्य प्रारम्भ करने से सफल होतेे हैं। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। इसलिए पुष्य पुत्र पीपल की शनिवार को आराधना करने से विशेष पुण्य मिलता है।
पद्म पुराण के अनुसार पीपल की उत्पत्ति जनकल्याण के लिए हुई है। इसलिए शनिदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त है कि जो कोई भी मेरे दिन पीपल की उपासना और परिक्रमा करेगा, वह शनि के प्रकोप से मुक्त हो जाएगा। एक विश्वास यह है कि पीपल वृक्ष को काटने से सन्तान हानि होती है। वास्तव मे पीपल ही ऐसा वृक्ष है, जो जीव-जन्तुओं को हर समय ऑक्सीजन देता है।
कहते हैं कि पीपल के वृक्ष पर दिन में देवता और रात्रि मेें असुर निवास करते हैं। ब्रम्हमुहूर्त में धर्मराज और सध्याकाल में शनिदेव का वास रहता है। इसीलिए कहा जाता है कि मध्यरात्रि में पीपल के पास जाने से बचना चाहिए।पद्म पुराण के अनुसार पीपल की पूजा और परिक्रमा से आयु एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इस वृक्ष में पितरों का वास होता है। पीपल के नीचे तर्पण और श्राद्ध से पितर प्रसन्न्न होते हैं। शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे कच्ची घानी के सरसों के तेल का दीपक जलाना अच्छा रहता है।