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 जानें,राहु ग्रह के काल और आयु गति…

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 राहु ग्रह के काल,आयु एवं गति

राहु काल 40 दिन,42 वर्ष,आयु 90 वर्ष,महीदशा वर्षां 18,सामान्य चक्र छह,इसका प्रभाव कभी भी और प्रभाव की गति हाथी सदृश होती है।
राहु की आयु किसी ग्रह के साथ 42 वर्ष होगी। राहु शुभ मंगल के साथ हो तो उसकी आयु शुन्य वर्षं होगी। राहु केतु के साथ हो आयु 45 वर्ष होगी जोकि वर्षफल में ही संभव हो सकती है।

राहु ग्रह की उच्च-नीच राशि एवं उसका प्रभाव

राहु मिथुन राशि में उच्च और धनु राशि में नीच का होता है। शुक्र,सुर्य या मंगल बारहवें भाव में हो तो राहु उच्च फल न देकर अत्यन्त कुप्रभाव देता है। यहां तक कन्या राशि में होने पर भी शुभ फल नहीं मिलता है। राहु-बुध छठे हो तो उनका शुभ फल मिलता है। राहु बाहरवें भाव में अशुभ फल देता है।

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राहु का प्रभाव 1से 4, 34 से 39,69 से 74,104 से 109,139 से 144 वें वर्ष में रहता है। इसी प्रकार पहला चक्र 7 से 12 वें वर्ष में,दुसरा चक्र 42 से 47 वें वर्ष में,तीसरा चक्र 77 से 82 वें वर्ष में और चैथा चक्र 112 से 117वें वर्ष होता है।

राहु,सुर्य,चन्द्र,मंगल,बुध,गुरू,शुक्र,शनि को छोड़कर केतु से सर्वाधिक बली है। राहु अपने से सम्बन्धित वस्तुओं पर ही कुप्रभाव डालता है।
राहु ;राहु वर्ष के तीन खण्ड करने पर द्ध प्रथम खण्ड में मंगल का प्रभाव चार मास तक देगा,द्वितीय खण्ड में मंगल अगले चार मास तक केतु का प्रभाव और तृतीय खण्ड में अपना ,राहु, अगले चार मास तक देगा। राहु चालीसवें दिन व बयालिसवें वर्ष में प्रभावी होता है।

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राहु चैथे भाव में अशुभ फल नहीं करता है। वर्ष कुण्डली में राहु चौथें भाव में हो तो राहु संबंधी कार्य करने पर झगड़ा होता है। राहु के कार्य ये हैं- घर की छत बदलवाना,कोयले की बोरियां संग्रह करना,नया शौचालय बनवाया और काने व्यक्ति को भागीदार बनाना। नपंुसक ग्रह राहु प्रातः व सायं काल में प्रभावशाली होता है। राहु अशुभ हो तो बारहवें,दसवें और पांचवें भाव का भी अशुभ फल मिलेगा।