तुला राशि में शनि गोचर का प्रभाव
पंचम भाव में शनि के स्थित होने के कारण आपको इसके मिले जुले फल मिलेंगे। आप बुद्धिमान और विद्वान होंगे। आप परिश्रमी और भ्रमणशील भी हो सकते हैं। यहां स्थित शनि आपको प्रसन्न और सुखी बनाता है साथ ही यह आपको दीर्घायु भी प्रदान करता है। आप शत्रुओं पर विजय पाने वाले और धर्मात्मा व्यक्ति हैं लेकिन आप स्वभाव से कुछ हद तक चंचल भी हो सकते हैं।
कहा गया है कि कभी-कभी गोद लिए जाने के बाद औरस पुत्र की प्राप्ति होती है। लेकिन आज के परिवेश में संतान की पैदाइस में कुछ विलम्ब भी हो सकता है। कभी-कभी एक संतान के बाद दूसरी संतान पांचवें, सातवें, नौवें और बारहवें वर्ष में हो सकती है। आप थोडे से मनमौजी हो सकते हैं और अपने काम से काम रखते हैं। शनि की यह स्थिति कभी-कभी शिक्षा में व्यवधान भी उत्पन्न करती है।
अशुभफलों के रूप में यहां स्थित शनि आपको आलसी और शरीर को निर्बल बना सकता है। आपके व्यवहार में कुछ हद तक कुटिलता आ सकती है। आप देवी-देवताओं और धर्म से बिमुख हो सकते हैं। आपकी प्रसिद्धि धीरे-धीरे कम होने लगती है और आपके धन सम्पत्ति पर भी शनि की इस स्थिति का दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है।
शनि ग्रह, Kundli में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष में शनि एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि शनि कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से जानते हैं शनि ग्रह के विभिन्न भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –