हम जिस घर में रहते हैं उस घर का वास्तु सम्मत होना बेहद जरूरी होता है। चाहे वह किराए का घर हो या फिर आपका निजी महान हो, दोनों ही स्थितियों में घर का वास्तुदोष से मुक्त होना जरूरी होता है। अक्सर ऐसा होता है कि हम समझ नहीं पाते कि वास्तुदोष होने पर क्या उपाय किए जाने चाहिए। तोड़-फोड़ न हो इस चिंता से हम इनकी अनदेखी कर देती हैं और ये ही दोष हमारे लिए समस्या खड़ी कर देते हैं। जबकि बिना तोड़फोड़ किए भी इन दोषों को दूर किया जा सकता है। आइए जानते हैं दोष और उनके उपाय.अगर आपके घर का मुख्य द्वार उत्तर-पश्चिम कोण में हो तो दरवाज के दोनों ओर ऊं, स्वास्तिक, एवं त्रिशूल लगाएं। दरवाजे के बाहर पिरामिड लगाएं।
अगर आपके घर में रसोई उत्तर-पूर्व दिशा में है तो उसे ठीक करने के लिए रसोई घर के बाहर या ऊपर की दिशा में दीवार पर 18 गुणा 18 का समतल दर्पण लगाएं। इसके अलावा उत्तर-पूर्व कोण में पिरामिड भी रख सकते हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा में देवी-देवताओं का वास माना जाता है, इसलिए टॉयलट का इस दिशा में होना बहुत ही दोषपूर्ण माना जाता है। इसे दूर करने के लिए आप टॉयलट में कटोरी में भरकर समुद्री नमक रखें। इसे हर 15 से 20 दिन में बदलते रहें और पुराने नमक को पानी में बहा दें। टॉयलट के बाहर उत्तरी या पूर्वी दीवार में से जो भी बड़ी हो उस पर समतल दर्पण लगाएं।
उत्तर-पूर्व भाग टूटा या फिर कटा हुआ हो
अगर आपके घर में उत्तर-पूर्व भाग कटा हुआ या फिर टूटा हो तो उसकी दीवार पर बड़ा सा दर्पण लगा सकते हैं।
दक्षिण-पूर्व या दक्षिण पश्चिम में प्रवेश द्वार
अगर आपके घर में प्रवेश द्वार दक्षिण-पश्चिम या फिर दक्षिण-पूर्व दिशा में हो तो दरवाजे के दोनों ओर ऊं, स्वास्तिक और पिरामिड लगाएं। 5 से 7 छड़ी वाला विंड चाइम भी लगा सकते हैं।
यदि आपके घर के परिसर में कोई पेड़ नैर्ऋत्य कोण या फिर आग्नेय कोण की दिशा में है तो इसे दोष कहा जाएगा। इसे दूर करने के लिए उसके तल में सांयकाल रोजाना एक आटे का दीपक या फिर अगरबत्ती जरूर जलाएं।
आग्नेय कोण में न हो कुंआ या जल स्रोत
घर के आग्नेय कोण में कुंआ या फिर कोई अन्य जल स्रोत नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर घर की वरिष्ठ महिला और संतान को शारीरिक कष्ट हो सकता है। इससे बचने के लिए उसके आस-पास कहीं फिटकरी का बड़ा सा टुकड़ा रख दें।