Other Articlesउपाय लेख

जानें,कालसर्पयोग के टोटके और उपाय

259views

कालसर्पयोग के टोटके

आजकल लाल किताब के टोटके बहुत प्रचलित हैं। इसलिए पाठकों की ज्ञानवृद्धि व लाभ के लिए इन्हें आवश्यक लगता है। सब प्राणी सुखी हों उनको मानसिक परेशानियों से छुटकारा प्राप्त हो इस उदे्श्य से मुझे जो भी प्राप्त हुआ वह दे रहा हूं।

लाल किताब में राहु को सांप का सिर व केतु को उसकी दुम माना गया है। 1 से 6 भाव में राहु हो तो राहु की दुम फल माना जाता है। और केतु के बाद के (7-12 भाव) भावों में कुल फल होता है। विपरीत स्थिति में दोनों का फल खराब होता है। जन्म कुण्डली में मंगल शनि इकट्ठे,मंगल 12वे में या चद्रमा चौथे भाव में हो तो राहु का फल शुभ होता है।यदि राहु अशुभ हो तो जातक का दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार वाले मकान में निवास करने से धन हानि व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मन की शान्ति के लिए मसूर की दाल (लाल रंग) प्रातः भंगी को दें या वैसे ही कुछ पैसे चाय आदि के लिए देकर भंगी को खुश रखें।

यदि जातक बीमारी से परेशान हो तो अपने वनज के बराबर जौ या कोयला बुधवार को बहते पानी में प्रवाहित करें। या जौ को मरीज के सिरहाने रखकर प्रातः काल पक्षियों को डालें या गरीबों में बांटे। जौ के स्थान पर बाजरा भी प्रयोग किया जा सकता है। सरकारी कामोें में परेशानियों के लिए या व्यवसाय या नौकरी की परेशानियों लिए अपने वनज के बराबर लड़की का कोयला चलते पानी में बहाएँ।राहु के साथ सुर्य,शुक्र या मंगल स्थित हो तो पुत्र अर्थात् केतु से सम्बन्धित चीजें,व्यापार,रिश्तेदार को केतु नष्ट कर देगा।

केतु अशुभ होने से जातक का स्वास्थ्य खराब हो तो चन्द्रमा के उपाय करने चाहिएँ।यदि लड़के का स्वास्थ्य खराब हो तो काला व सफेद कम्बल धर्म स्थान पर दान दें। पेशाब में कष्ट हो तो रेशम का धागा या चांदी का छल्ला पावों के अंगूठों में पहनें। जातक को अपने विवाह के समय ससुराल से दो पलंग ( डबल बैड)जरूर लेगा चाहिए। यदि जातक और उसकी पत्नी उस सोये ंतो केतु अशुभ नहीं होता है।

केतु अशुभ हो तथा जन्म कुण्डली में चद्रमा व शुक्र इकट्ठे हों तो जातक के बच्चे का शरीर सूखने लगता है। ऐसी स्थिति में गाचनी मिट्टी (मुलतानी मिट्टी) या नदी-नहर की चिकनी मिट्टी बच्चे के शरीर पर लगायें व सूख जाने पर मौसम के शरीर पर लगायें व सूख जाने पर मौसम के अनुसार गर्म या ठंठे पानी से नहलाकर धो डालें। यह उपाय 43 दिन तक करें लाभ होगा।ताजी मूली बुधवार को दान करें।कालसर्प योग के कारण वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आ रही हों तो पत्नी के साथ दुबारा विवाह रचाएँ।घर के प्रवेश द्वार पर चौखट के ऊपर चाँदी का स्वास्तिक दो नागों के जोड़े के मध्य लगाएँ जैसे नीचे दिखाया गया है।रसोई घर में बैठकर भोजन करेें।एक कच्चा नारियल नटाओं के साथ बहते पानी में 43 दिन तक प्रवाहित करें। भाद्रपद में सोलह श्राद्ध,श्रद्धपूर्वक करें।

नगपंचमी के दिन प्रतीक स्वरूप चाँदी के नाग की पूजा करें। पितरों का आह्नान करें। पितरों को सद्गति प्राप्त हो,ऐसी प्रार्थना करें। घर के सभी लोग इसको नमस्कार करें और फिर बहते पानी में समस्त सामग्री प्रवाहित करें।
गौ मूत्र अपने दाँत साफ करें।

18 अलसी के बीज लेकर उसको गोमूत्र में भिगोकर अपने सिरहाने रख कर सोएँ।

यदि कन्या के सप्तम भाव मंे राहु स्थित हो व कालसर्प योग हो तो लड़की की शादि के समय उसके पिता को चाहिए कि वह 20 ग्राम चाँदी को ठोस ईंट कन्या को दान में दे। जो लड़की हमेशा अपने पास रखे या पानी छोटी चाँदी लुटिया में गंगाजल भरकर घर में रखे। लुटिया का पानी खूखने न पाए,इस बात का ध्यान रखे। जब भी गंगाजल सूखने पर हो तो उसे पुनः भर दें।

राहू सिंहिका का पुत्र है। सिंहिका पर हनुमान जी ने विजय प्राप्त की थी।इसलिए 43 दिन तक हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें। (या हर सोमवार या बुधवार को हनुमान चालीसा का पाठ आजीवन करें।)