सनातन हिंदू धर्म बहुत सारे संस्कारों पर आधारित है, जिसके द्वारा हमारे विद्वान ऋषि-मुनियों ने मनुष्य जीवन को पवित्र और मर्यादित बनाने का प्रयास किया था। ये संस्कार ना केवल जीवन में विशेष महत्व रखते हैं, बल्कि इन संस्कारों का वैज्ञानिक महत्व भी सर्वसिद्ध है। गौतम स्मृति में कुल चालीस प्रकार के संस्कारों का उल्लेख किया गया है, वहीं महर्षि अंगिरा ने पच्चीस महत्वपूर्ण संस्कारों का उल्लेख किया है तथा व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है जोकि आज भी मान्य है। माना जाता है कि मानव...
मनुष्य के लिए जितने महत्वपूर्ण उसके शरीर तथा परिवेश के परिवर्तन होंगे, उतनी ही गहन उसकी भावनाएं होंगी। संवेगों के साथ श्वास और नाड़ी की गति में परिवर्तन आते हैं (उदाहरण के लिए, उत्तेजना के मारे आदमी हांफ सकता है, उसकी सांस रुक सकती है, उसका दिल बैठ सकता है), शरीर के विभिन्न भागों में रक्त का संचार घट-बढ़ जाता है (मुंह का शर्म से लाल हो जाना या डर से पीला पड़ जाना), अंत:स्रावी ग्रंथियों की क्रिया प्रभावित होती है (दुख के मारे आंसू निकलना, उत्तेजना के मारे गला...
चहुंमुखी अर्थात सम्पूर्णता के साथ किया गया वरण (चयन) ही आवरण कहलाता है। वरण में कामना रहती है और माया का ही दूसरा नाम कामना है। अत: माया और आवरण पर्यायवाची कहलाते हैं। वरने की प्रक्रिया को वरण कहते हैं। इसमें मांगना, चुनना, छांटना आदि क्रियाएं समाहित होती हैं। कामना-इच्छा को भी वर कहते हैं, क्योंकि उनका वरण करने के बाद ही तो कामना पूर्ति के उपाय किए जाते हैं। ब्रह्म में कामना है, किन्तु विस्तार पाने की। माया स्वयं कामना है। अत: स्त्री और उसके सभी स्वरूप, चाहे पिछली...
मन के कारक चंद्र से पूरा का पूरा व्यक्तित्व निर्मित होता है। कुण्डली में मुख्य रूप से लग्न और तृतीय भाव के स्वामी इंसानी चरित्र और व्यवहार के लिए जिम्मेदार होते हैं किंतु चंद्रमा जो कि चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह है, उससे मन की दृढ़ता या उसकी कमजोरी निश्चित होती है। यहां आज हम मन के स्वामी ग्रह चंद्रमा का व्यक्तित्व पर पडऩे वाले प्रभाव की चर्चा करेंगे। चंद्रमा की मजबूती या कमजोरी उसके पक्ष बल से निर्धारित होती है। यदि किसी जातक का जन्म अमावस्या या कृष्ण पक्ष...
सनातन हिंदू धर्म बहुत सारे संस्कारों पर आधारित है, जिसके द्वारा हमारे विद्वान ऋषि-मुनियों ने मनुष्य जीवन को पवित्र और मर्यादित बनाने का प्रयास किया था। ये संस्कार ना केवल जीवन में विशेष महत्व रखते हैं, बल्कि इन संस्कारों का वैज्ञानिक महत्व भी सर्वसिद्ध है। गौतम स्मृति में कुल चालीस प्रकार के संस्कारों का उल्लेख किया गया है, वहीं महर्षि अंगिरा ने पच्चीस महत्वपूर्ण संस्कारों का उल्लेख किया है तथा व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है जोकि आज भी मान्य है। माना जाता है कि मानव...