ग्रह विशेष

जानें,तिगड्डे ग्रहों के प्रभाव और उपाय

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तिगड्डे ग्रहों के प्रभाव

जब किसी खाने में तीन ग्रह एक साथ होते हैं, तो ’तिगड्डे ग्रह’ कहलाते है। इनके प्रभाव निम्नवत् हैं-

बृहस्पति एवं सूर्य के साथ अन्य ग्रह

 जन्मकुंडली के किसी भी घर में बृहस्पति, सूर्य एवं चंद्र के एक साथ होने पर उत्तम फल प्राप्त होता है। ऐसा त्रिग्रही जातक भाग्यवान, कलम का धनी, दूसरों की मदद करने वाला, ठोस सामान का व्यापारी तथा साथियों का सहायक होता है। यदि कोई मन्दा चल रहा हो या विपरीत फल दे रहा हो तो उसका उपाय करें।

 यदि किसी कुंडली के किसी भी घर में बृहस्पति, सूर्य और शुक्र एक साथ हों तो जातक का भाग्य उसके विवाह के दिन जागता है। जातक की पत्नी मिलनसार, अच्छे स्वभाव की, साथ निभाने वाली तथा भाग्यवान होती है। अगर कोई ग्रह मंदा चल रहा हो या विपरीत असर दे रहा हो तो उसका उपाय करना चाहिए।

 बृहस्पति, सूर्य और मंगल का किसी भी घर में इकट्ठा होना जन्मकुंडली को कारगर बनाना है। ऐसे जातक को बृहस्पति-बाबा, मंगल-भाई का मित्र और सूर्य-पिता-ग्रहो का प्रभाव अलग-अलग अपने-अपने स्थानों के मुताबिक होता है। अगर ये तीनों आठवें घर में बैठे हों तो जातक योगी होता है। यदि किसी ग्रह का प्रभाव मंदा और फल विपरीत मिले तो उस ग्रह का उपाय करना चाहिए।

 बृहस्पति, सूर्य और बुध ग्रहों का योग राजयोग कारक है। तीनों का फल अलग-अलग प्रभाव वाला होता है। ये तीनों ग्रह जब जन्मकुंडली के पांचवें घर में हों तो बृहस्पति और सूर्य दोनो कैदी बन जाते है। यानी जातक और उसके पिता का भाग्य मंदा हो जाता है, फिर भी उनमें धार्मिक भावना बनी रहती है। उनका मकान आगे से तंग और पीछे से चैडा़ होता है। धन-धान्य की कोई कमी नही रहती। लेकिन बहुत अधिक धन भी नहीं होता । जब ये तीनों ग्रह आठवें एवं शनि दूसरे में हो, तो भी यही फल प्राप्त होता है।
दूसरे घर में मंगल – शनि और 1, 7, 10 में कोई ग्रह न हो दूसरे घर में बैठे ग्रह अपना-अपना प्रभाव दिखाएंगे। यदि प्रथम शनि की समयावधि में 7, 10 घर खाली न हो और उस समय मकान बनवाने के लिए नींव खोदी जाए या शनि से संबंधित अन्य काम शुरू किए जाएं तो पिता पर जानलेवा हमला होता है। ऐसे दुष्प्रभावों से बचने के लिए दूसरे घर मे बुध का उपाय कारगर होता है।

 बृहस्पति, सूर्य तथा शनि कुंडली के किसी भी घर मे साथ बैठे हो, जातक को मान-सम्मान अवश्य मिलता है। जब तीनों ग्रह छठे घर में हों तो जातक अपने मकान में प्रवेश करता है तथा हर आफर से बचा रहता है। तीनो ग्रहों के पांचवें घर में होने पर संतान पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता। तीनों में से जो ग्रह विपरीत असर करता हो, उसका उपाय करें।

 बृहस्पति, सूर्य तथा केतु कुंडनी के किसी भी घर में बैठे हों, सूर्य का फल बहुत नीच होता है। पांचवें घर में फल ठीक होता है। इसके उपाय के लिए केतु को यहां से हटा दे।

 बृहस्पति, सूर्य एवं राहु जन्मकुंड़ली के किसी भी घर में बेठकर शहंशाह के दरबार में आग का धुआं दिखाएंगें यह जानते हुए भी कि वह राजा है, लोग उसके साथ चोरी का व्यापार करेंगे तो ग्रहों का फल नीच होगा। पांचवें घर में ये तीनों ग्रह नीच फल देंगे। इसके उपाय हेतु राहु को यहां से हटा दें।