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महाकाल और कलचुरी राजकुमार रुद्रसेन की कथा

“भयमोचन विभूति: कलचुरी राजकुमार रुद्रसेन की कथा” भयभूमि: अभूतपूर्व आतंक संवत् 1242 — कलचुरी वंश का नितांत प्रगतिशील राजकुमार रुद्रसेन अपनी सभा में ही भयभीत दिखता था। राजमहल के आँगन में प्रत्येक शोर, पशु-मंत्र और काले बादलों के गर्जन से ही उसका हृदय कांप उठता। पुरोवासी-मंत्री भी समझ न पाए कि स्वयम् पराक्रमी रुद्रसेन को कौन-सा दैवीय भय ग्रस्त कर रहा। रातों को वह जगकर झूलते फाफूंद की छवि देखता, मानो कालरात्रि स्वयं उसका साया हो। श्लोकः (शार्दूलविक्रीट, १९ मात्राः) तमसो मे क्लिन्नचेताः क्लन्ना पथिकपादयोः क्रन्दन्ति । किमस्मिन् कालरात्रौ कर्तव्यं,...