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वास्तु शास्त्र के नियमों का प्रयोग करते हुए किस प्रकार अपने जीवन को बेहतर बनाया जा सकता हैं- पं. प्रियाशरण त्रिपाठी

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ईंट, सीमेंट और दीवारों से बना घर परिवार के होने से ही घर बनता है। घर को घर बनाने में वास्तु शास्त्र उपयोगी सिद्ध होता है। दैनिक जीवन को बेहतर बनाने और पारिवारिक सुख-शांति में बढ़ोतरी करने में वास्तु शास्त्र की भूमिका अहम हो सकती है। अनुभव में पाया गया है कि जिन घरों का निर्माण और रख-रखाव वास्तु के अनुरुप होता है, उन घरों में रहने वाले व्यक्तियों का जीवन अधिक उन्नतिशील, सफलतादायक और सुखी रहता है।

वास्तु शास्त्र की यह विशेषता है कि यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर कर सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है। वास्तु नियमों को ध्यान में रखते हुए घर का निर्माण कार्य यदि किया जाता है तो ऐसे घर में रहने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य उत्तम और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि वास्तु शास्त्र के नियमों का प्रयोग करते हुए किस प्रकार अपने जीवन को बेहतर बनाया जा सकता हैं-

    • व्यक्ति आप अपने खाली रसोईघर को एक स्टोर रुम की तरह उपयोग करना चाहते हैं तो आप इसके लिए ध्यान रखें कि ऐसा रसोईघर ईशान कोण अर्थात पूर्व-उत्तर स्थान में हो, अथवा यह रसोईघर घर की पूर्व-दक्षिण दिशा जिसे आग्नेय कोण के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान पर होना उपयुक्त रहता है।
    • वास्तु शास्त्र यह कहता है कि घर की आग्नेय कोण की दिशा में स्वयं अग्निदेव रहते हैं। यहां रसोईघर होना वास्तु सम्मत होता है। यहां एक ओर बात ध्यान देनी होगी कि ईशान कोण की दिशा को विशेष रुप से साफ सुथरा रखना होगा।
    • घर के सदस्यों की उन्नति समयानुसार होती रहें इसके लिए घर के दरवाजों और खिड़कियों का संख्या में विषम होना आवश्यक है। यहां विषम से अभिप्राय: २ से भाग होने वाली संख्या से है।
    • जिन जातकों का घर खुला हो और घर में आंगन हों उन व्यक्तियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि घर का आंगन मध्य से ऊंचा और अन्य चारों स्थानों से थोड़ा नीचा होना चाहिए।
    • निर्मित घर का दक्षिणी भाग खाली हो तो यह बहुत बड़ा वास्तु दोष माना जाता है। यह वास्तु दोष घर के स्वामी की सेहत और व्यापार में हानि का कारण बन सकता है। इससे परिवार में आपसी तालमेल की कमी रहती है, माहौल भी तनावपूर्ण बना रहता है।
    • घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए घर के मुख्य द्वार के सम्मुख शीशा लगाना शुभ माना जाता है। घर के इस भाग में आईना लगाने से घर में प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा आईने से टकरा कर वापस लौट जाती है।
    • मुख्य द्वार के सामने के भाग पर प्राकृतिक रेखाचित्र से युक्त सिनरी लगा सकते है। परन्तु यहां ध्यान रखें कि यहां बहते जल का चित्र लगाने से बचना होगा। इसके स्थान पर आप यहां पर जंगल में लम्बी सड़क का चित्र लगा सकते हैं।
    • घर का ईशान कोण घर का सबसे शुभ स्थान होता है, घर के इस स्थान पर पूजा घर होना इसकी शुभता को बढ़ाता है। यहां पूजा घर होना, धन आगमन को बेहतर बनाता है। इस स्थान पर मंत्र जाप, साधना और पूजा-पाठ के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है। घर में एक से अधिक पूजा घर होना सही नहीं होता है।
    • ईशान कोण में पूजा घर होने पर परिवार की रुचि धार्मिक कार्यों में होती है, पूजा पाठ के कार्यों में मन अधिक लगता है, एकाग्रता अधिक रहती है। अंतत: फल भी सकारात्मक रुप से प्राप्त होती है।

इसके अतिरिक्त यह भी माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति ईशान कोण में पूजन करता है तो मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

  • घर का वास्तु सम्मत होना, घर को सकारात्मक बनाए रखता है, इससे परिवार के सदस्य स्नेह से रहते हैं, फैसलें सहजता से लेते हैं, सदस्यों का पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन सुखमय रहता है।
  • घर के पूजा घर में देवी देवताओं की एक से अधिक मूर्ति या तस्वीरें ना लगायें।
  • बच्चें यदि पढ़ते नहीं है या उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो घर के ईशान कोण में पूजा स्थल की जगह पर पढ़ाई का कमरा भी बनाया जा सकता है। शैक्षिक कार्यों के लिए यह स्थान/दिशा सबसे अधिक उपयुक्त मानी जाती है। पढ़ाई की मेज पर एक क्रिस्टल ग्लोब और माता सरस्वती की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। इससे पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ती है।
  • घर को सकारात्मक ऊर्जा से युक्त रखने में फूल और पौधों का प्रयोग एक अच्छा उपाय है। यह सहज, सस्ता और उपयोगी उपाय है।
  • यदि घर की पूर्व-उत्तर दिशा में हरे रंग का प्रयोग करना इस दिशा की शुभता को बढ़ाता है। इस स्थान पर हरे रंग के फूल या हरे रंग के पौधे भी यहां लगाए जा सकते है। ईशान कोण में फूल या पौधे लगाने से जीवन में खुशियां नित बढ़ती जाती है।
  • दक्षिण-पूर्व दिशा को लाल रंग के फूलों से सजाए, उत्तर दिशा में मनी प्लांट का पौधा लगायें।