
एकादशी व्रत: कैसे मिलेगी विष्णु भगवान की कृपा ?
एकादशी व्रत हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पुण्यदायी व्रतों में से एक है। यह व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। प्रत्येक मास में 2 एकादशी आती हैं—शुक्ल पक्ष की एक और कृष्ण पक्ष की एक। वर्ष भर में कुल 24 एकादशी, और अधिमास होने पर 26 एकादशी मानी जाती हैं।
धर्मग्रंथों में कहा गया है कि__
एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ है, जो जन्मों के पापों का नाश कर मोक्ष और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है।”
यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उत्थान लाता है, बल्कि मन और शरीर को शुद्ध भी करता है। आइए, विस्तार से जानें—एकादशी व्रत क्या है? इसका महत्व क्या है? इसे कैसे किया जाता है और भगवान विष्णु की कृपा कैसे प्राप्त होती है |
1. एकादशी व्रत क्या है?
चंद्र मास के अनुसार हर पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, इस तिथि का सीधा संबंध भगवान विष्णु के “एकादश इंद्रियों” से है—यानी पाँच ज्ञानेंद्रियाँ, पाँच कर्मेंद्रियाँ और मन।
इस दिन इंद्रियों पर नियंत्रण रखने से मन शांत होता है और व्यक्ति आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करता है।
एकादशी व्रत का उद्देश्य:
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इंद्रियों पर नियंत्रण
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मन की शुद्धि
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पापों का नाश
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स्वास्थ्य लाभ
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भक्ति की वृद्धि
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आर्थिक और मानसिक समृद्धि
एकादशी व्रत के प्रमुख लाभ:
(1) पापों का नाश
पुराणों के अनुसार सभी युगों में एकादशी सबसे आसान और प्रभावी व्रत माना गया है। यह जन्मों के पापों को भी समाप्त करता है।
(2) मन की शुद्धि
व्रत, उपवास और ध्यान से मानसिक शक्ति बढ़ती है। एकादशी मन, बुद्धि और विचारों को शुद्ध करने का श्रेष्ठ माध्यम है।
(3) धन–उन्नति और सफलता
भगवान विष्णु को “पालनकर्ता” और “धन, वैभव, स
(4) बीमारी और मानसिक तनाव से मुक्ति
उपवास शरीर को डिटॉक्स करता है। आयुर्वेद भी मानता है कि सप्ताह में एक दिन उपवास बेहद लाभकारी होता है।
(5) मोक्ष प्राप्ति
जो व्यक्ति निरंतर एकादशी व्रत करता है, उसके लिए मोक्ष और परम शांति का मार्ग सरल हो जाता है।
मृद्धि” का देवता माना गया है।
जो व्यक्ति उनकी भक्ति करता है, उसके जीवन में रुकावटें दूर होती हैं और सफलता के दरवाजे खुलते हैं।3. एकादशी व्रत कैसे किया जाता है? (विधि)
1. दशमी की तैयारी
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तीखे, तले पदार्थ न खाएँ
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प्याज़–लहसुन का सेवन न करें
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सात्त्विक भोजन करें
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मन को भक्ति में लगाएँ
2. एकादशी के दिन
(1) प्रातः स्नान
पवित्र स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
(2) संकल्प लें
“मैं आज श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु के लिए एकादशी व्रत करूंगा/करूंगी।
(3) उपवास
एकादशी में तीन प्रकार के उपवास किए जाते हैं—
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निर्जल (बिना पानी) – कठिन
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जलाहार (केवल पानी, फल, दूध) – मध्यम
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सात्त्विक फलाहार (फल, उपवास सामग्री) – सामान्य
4) पूजा–पाठ
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विष्णु भगवान की प्रतिमा पर पीले फूल चढ़ाएँ
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तुलसी दल अवश्य अर्पित करें
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भगवान की आरती करें
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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र कम से कम 108 बार जपें
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श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ अत्यंत शुभ
(5) रात्रि जागरण
भजन-कीर्तन करें।
इससे पुण्य दोगुना मिलता है।4. द्वादशी के दिन पारण
व्रत का समापन द्वादशी तिथि में सही समय देखकर किया जाता है।
अन्न तभी ग्रहण करें जब पारण का समय शुरू हो जाए।
कभी भी द्वादशी तिथि समाप्त होने के बाद पारण न करें, इसे अशुभ माना गया है। -
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5. एकादशी व्रत में क्या नहीं करना चाहिए ?
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झूठ बोलना
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क्रोध करना
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परनिंदा/गाली देना
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तामसिक भोजन (प्याज–लहसुन, मांस, शराब)
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अत्यधिक सोना
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किसी जीव को कष्ट देना
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दान से पीछे हटना
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6. एकादशी का आध्यात्मिक रहस्य
एकादशी का संबंध सीधे मन और चंद्र ऊर्जा से है।
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी है और एकादशी तिथि मन को स्थिर करने का सबसे शक्तिशाली दिन है।
7. भगवान विष्णु की कृपा कैसे मिलेगी?
1. तुलसी का पूजन अवश्य करें
तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
तुलसी पत्र के बिना पूजन अधूरा माना गया है।
2. पीले वस्त्र, पीले फूल चढ़ाएँ
यह विष्णु को प्रसन्न करते हैं।
3. विष्णु मंत्र जप
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ॐ नमो नारायणाय
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
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विष्णु सहस्रनाम
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यह मंत्र मन की अशांति दूर करते हैं और घर में सम्पन्नता लाते हैं।
4. भूखे को भोजन कराएँ
दान–पुण्य से व्रत का प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है।
5. क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहें
भगवान विष्णु शांति और सौम्यता के देवता हैं।
उनकी कृपा पाने के लिए मन शांत होना चाहिए।
6. जल, फल या दूध का सेवन कर पंचामृत बनाकर अर्पित करें
यह व्रत को पूर्ण बनाने का श्रेष्ठ उपाय है।
निष्कर्ष
एकादशी व्रत साधारण व्रत नहीं है—
यह मन, शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण है।
यह पापों का नाश करता है और व्यक्ति को विष्णु भगवान के मार्ग से जोड़ता है।
यदि कोई व्यक्ति नियमपूर्वक यह व्रत करे, तुलसी पूजन करे, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करे और मानसिक शांति बनाए रखे, तो निश्चित ही—
भगवान विष्णु की कृपा उसके जीवन में सुख, सौभाग्य, समृद्धि और सफलता के रूप में बरसती है।





