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जानें,पृथ्वी लोग के रत्न और उत्पत्ति

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पृथ्वी लोग के रत्न

ग्रंथ व पुराणों के अनुसार ऐसा सुना जाता है कि राजा बलि के शरीर से 21 रत्न हमें प्राप्त हुये जिनको पृथ्वी लोक के रत्न कहा गया। इन रत्नों का मानव जीवन में बहुत ही महत्व है और ये मानव जीवन को पूर्ण रूप् से प्रभावित करते है।आचार्य चाणक्य पृथ्वी पर मौजूद तीन रत्नों की चर्चा करते हुए करते हैं कि अन्न, जल तथा सुंदर शब्द, पृथ्वी के ये ही तीन रत्न हैं. मूर्खों ने पत्थर के टुकड़ों को रत्न का नाम दिया है. इसका आशय यह है कि अनाज, पानी और सबके साथ मधुर बोलना, ये तीन चीजें ही पृथ्वी के सच्चे रत्न हैं ये रत्न निम्न हैं-माणिक्य, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद, लहसुनिया, फिरोजा, चन्द्राकांत मणि, घृत मणि, तैल मणि, भीष्मक मणि, उपलक मणि, स्फटिक मणि, पारस मणि, उलूक मणि, लाजावर्त मणि, मासर मणि, ईसव संग मणि