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जानें,रत्नों का ग्रहों से संबंध

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रत्नों और ग्रहों में संबंध

ग्रहों और रत्नों का आपस में गहरा संबंध होता है। सौर मंडल में स्थित सभी ग्रह नक्षत्र व तारे अपनी रश्मियां भूमण्डल पर फैलाते हैं जिनका प्रभाव इस भूमण्डल के प्रत्येक प्राणियों, वनस्पतियों व खनिजों पर पड़ता है तथा ये सभी प्राणियों, वनस्पतियों व खनिजों के जीवन तथा क्रियाकर्म को अपनी रश्मि के द्वारा प्रभावित कर संचालित करते है।

ग्रह से निकलने वाली ये रश्मियां देखने में भले ही सफेद रंग की प्रतीत हों परन्तु वास्तव में सात रंगों से युक्त होती है। उदाहरण के लिये सूर्य की किरणों से आप भली भांति परिचित हैं।ग्रहों और रत्नों में अभूतपूर्व दैवी शक्ति निहित होती है। रत्नों का हमारे उपर जो प्रभाव होता है। वह ग्रहों के रंग व प्रकाश किरणों की कंपन्न की क्षमता के कारण है।

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हमारे ऋषियों ने अपने अनुभव, प्रयोग और दिव्य दृष्टि से यह जानकारी प्राप्त कर ली थी कि कौन-सा ग्रह किस रंग की किरणें प्रदान करता है और उसी के अनुसार उन्होने ग्रहों के लिये रत्न निर्धारित कर दिये थे।

किसी ग्रह के निर्धारित रत्न के द्वारा उसके रंग की किरणें मानव शरीर में प्रवेश करके अपने कंपन्न से अपना अच्छा प्रभाव डालती हैं। अगर रत्न किसी व्यक्ति विशेष के लिये उपयुक्त नहीं है तो उसका बुरा प्रभाव भी जातक को नुकसान पहुंचा सकाता है। इसलिए नग पहनते समय हमें कुण्डली का सूक्ष्म अध्ययन अवश्य करना चाहिये।