लहसुनिया रत्न कब और किसे पहनना चाहिए? जानिए…
Lehsuniya Gem: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु अशुभ प्रभाव देने वाला हो तो ऐसे में लहसुनिया रत्न धारण किया जा सकता है. जन्म कुंडली में केतु के ख़राब स्थिति में होने के कारण व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. तो चलिए जानते हैं लहसुनिया रत्न के बारे में कुछ विशेष बातें।रत्न शास्त्र के अनुसार पृथ्वी पर पाया जाने वाला हर रत्न किसी न किसी ग्रह से संबंधित होता है. रत्न शास्त्र मानता है कि इन रत्नों को पहनने से संबंधित ग्रहों की शुभता को कुंडली में बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा कुंडली में दूषित ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
लहसुनिया रत्न को कैट्स आई भी बोला जाता है. इस रत्न का संबंध केतु ग्रह से होता है. लहसुनिया किसे पहनना चाहिए और इसे पहनने की क्या नियम हैं इसके बारे में हमें बता रहे हैं।
लहसुनिया रत्न के फायदे
केतु की अशुभ स्थितियां लहसुनिया को केतु का रत्न माना जाता है. इसलिए केतु के दुष्प्रभाव जानना जरूरी हैं. जिस व्यक्ति की कुंडली में केतु ख़राब स्थिति में होता है उस व्यक्ति के कार्यों में अस्थिरता, मन विचलित रहना, आर्थिक और मानसिक परेशानियां देखने को मिलती हैं. ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक लहसुनिया धारण करने से केतु के दुष्प्रभाव से छुटकारा पाया जा सकता है.
यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केतु शनि के साथ संलग्न भाव में है या पांचवें घर में हो तो यह अशुभ फल देने वाला होता है. इसके अलावा केतु शुक्र के साथ वृषभ, मिथुन राशि में कुंडली के किसी भी घर में बैठा हो तो भी यह अशुभ फल देता है. गोचर में केतु यदि चौथे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो ऐसे में व्यक्ति को लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है ।
ये लोग न धारण करें लहसुनिया रत्न
- रत्न शास्त्र के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में केतु द्वितीय, सप्तम, अष्टम या फिर द्वादश भाव में हो तो वह लोग न धारण करें।
- अगर किसी जातक ने पुखराज, मोती, हीरा या फिर माणिक्य पहना हुआ है, तो वह लहसुनिया रत्न बिल्कुल भी न पहनें। इसे इन रत्नों के साथ धारण करने से अशुभ फलों की प्राप्ति होगी।
- अगर आप भी लहसुनिया रत्न धारण करने की सोच रहे है, तो एक बार रत्न शास्त्र के एक्सपर्ट से अपनी कुंडली जरूर दिखा लें। इसके बाद ही इस रत्न को धारण करें।
- लहसुनिया रत्न धारण करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें चार या इससे अधिक धारियां ना हो।
लहसुनिया का रोगों में उपयोग
लहसुनिया का उपयोग अनेक प्रकार के रोगों के उपचार में भी किया जाता है। इसके कुछ विचित्र प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। बच्चों के गले में लहसुनिया पहनाने से श्वास, कास, निमोनिया आदि के रोग दूर होते हैं। जिस स्त्री का प्रसव होने वाला हो उसके सिर के बालों में लहसुनिया बांध देने से प्रसव शीघ्र हो जाता है। पीलिया रोग में लहसुनिया पहनने से रोग शीघ्र दूर होता है। योग्य वैद्यराज की सलाह अनुसार लहसुनिया की भस्म लेने से बुद्धि का विकास होता है, स्मरण शक्ति उत्तम होती है, शरीर में बल वृद्धि होती है। इसकी भस्म भूख बढ़ाती है और आंतों को साफ रखती है। केतु खराब हो तो आकस्मिक घटनाएं होती हैं और जातक को संक्रामक रोग घेर लेते हैं।