मोती रत्न किन लोगों को और कैसे धारण करना चाहिए,जानिए…
चन्द्रमा का रत्न मोती
मोती नग को चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिये। इ सनग को प्राण-प्रतिष्ठित करने के लिये सोमवार को सुबह गंगाजल या कच्चे दूध में धोकर इसका चन्दन, पुष्प व धूप-बस्ती से विधिवत पूजन करें। उसके बाद हमें ऊॅं सों सोमाय् नमः। इस मंत्र 11000 हजार बार जाप करना चाहिये। मत्र जाप करने के बाद दूसरे सोमवार को सुबह चन्द्रमा की होरा में ही इ सनग को सीधे हाथ की कनिष्ठिका या अनामिका उंगली में धारण किया जा सकता है।
मंगल का रत्न मूंगा
मूंगा रत्न सोने की अंगूठी में बनाना चाहिये। प्राण-प्रतिष्ठा के लिये सबसे पहले गंगाजल या कच्चे दूध में डालकर सोने या तांबे के यंत्र के उपर रखकर विधिवत् पूजन करना चाहिये। धूप-बत्ती, पुष्प-चन्दन इत्यादि से इसकी पूजा करें। उसके बाद ऊॅ भौ भोमाय् नमः। इ समंत्र का 10000 बार जाप करें। इन मंत्रो का जप हमें मंगलवार की सुबह शुरू करना चाहिये। इस रत्न को सीधे हाथ की तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिये। अगर यह आप किसी ब्राम्हण से कराते हैं तो उसे दान अवश्य दीजिये। दान देने से ब्राम्हण की दुआयें आपके साथ हो जाती हैं।
बुध का रत्न पन्ना
पन्ना को हमेशा चांदी की अंगूठी में ही धारण करना चाहिये। इ सनग को प्राण-प्रतिष्ठित करने के लिये हमें बुध के मंत्रों का जाप करना चाहिये। अंगूठी बनवाने के बाद बुधवार की सुबह गंगाजल, कच्चा दूध या शुध्द पानी से धोकर धूप-बत्ती,पुष्प-चंदन से पूजा करके इसे हमेंचांदी के बर्तन या चांदी के पतर के उपर इसे रखना चाहिये। इसे बुध के यंत्र पर भी रखा जा सकता है। उसके बाद हमें बुधवार की सुबह से बुध के मंत्रो का जाप करना चाहिये मंत्र है-ऊॅं वुं वुधाय नमः। इस मत्र को लगातार सात दिनो तक 9000 मंत्रो का जाप करना चाहिये। अगले बुधवार को बुध की ही होरा में हवन करने के बाद इस नग को सीधे हाथ की कनिष्ठिका उंगलीमें धारण किया जा सकता है।