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दान संबंधी नियम
- यदि जन्मकुंडली के साथ वर्षफल में भी कोई ग्रह विशिष्ट रूप् से आ जाए तो दान नही देना चाहिए। यदि ऐसा किया गया तो दान हानि का कारण बन सकता है। यह हानि वर्षफल के वर्ष में ही होगी, बाद में नहीं। निम्नलिखित परिस्थितियों में भी दान देना-लेना वर्जित होता है-
- अगर उच्च ग्रह वाला जातक अपने उच्च ग्रह से संबंधित चीजों का दान दे या नीच ग्रह से संबंधित किसी चीज का दान ले तो इसका बुरा परिणाम होगा। यह मंदे जहर का काम करेगा।
- यदि चंद्र छठे घर में हो तो आम लोगों की भलाई के लिए तालाब, कुआॅं अथवा बावड़ी बनवाना, प्याउ लगानाया पानी का अन्य प्रकार से दान देना अथवा अपनी कमाई का भाग ऐसे कार्य के लिए देना जातक के लिए हानिकारक सिद्ध होगा। ऐसे जातक को दान संतानहीन करके छोड़ेगा या असमय की मौतों एवं भयंकर दुर्घटनाओं के कारण वंश घटता जाएगा।
- यदि शनि पहले घर मे और बृहस्पति पांचवे घर में हो तो ऐसे जातक द्धारा किसी फकीर को तांबे का पैसा देना उसके अपने बच्चे की अचानक मृत्यु का, अशुभ समाचारों और मौतों के आने का संदेश होगा।
- जब बृहस्पति दसवें घर में और चंद्र चैथे घर में हो तो जातक द्धारा धर्मार्थ जगह, मंदिर मस्जिद या गुरूद्धारा बनवाना जो आम लोगों के इस्तेमाल के लिए हो, झुठी तोहमत या फांसी की सजा का कारण बनेगा।
- यदि शुक्र नौवें घर में हो तो ऐसे जातक द्धारा गरीब, यतीम एवं अपंग बच्चों की पढ़ाई के लिए वजीफा, पुस्तकें तथा दवा के पैसा देना अपने लिए आर्थिक गड्ढ़ा खोदने के समान होगा।
- टगर चंद्र बारहवें घर में हो तो साधु-फकीर को रोज रोटी खिलाना अथवा मुक्त विद्या देने के लिए कोई स्कूल खोलना जातक को बीमारियों या दुःखों से ऐसा त्रस्त कर देगा कि उसे मौत के बाद भी शांति नहीं मिलेगी।
- टगर बृहस्पति सातवें घर में हो तो जातक द्धारा किसी साधु या धर्म-स्थल के पुजारी को मुक्त नए कपड़े देना, अपने आपको निर्धन करना है। इसका उसकी अपनी लाद पर भी बहुत बुरा असर पडे़गा।