बेसुमान दौलत हासिल कराने वाला ’’हरिद्रा तंत्र’’ टोटका
’’हरिद्रा’’ का प्रचलित नाम ’’हल्दी’’ है। ’’हरिद्रा’’ (हल्दी) कई प्रकार की होती है। एक हल्दी खाने के काम में नहीं आती, पर चोट लगने और दूसरे औषधिय गुणों में उसे महत्व दिया जाता है।ये रंग में सभी पीली होती हैं और पवित्रता का तत्व सभी में होता है। हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाली हल्दी पीली (बसन्ती) और लाल (नारंगी) दो की होती है। यद्यपि यह वर्ण भेद बहुत सूक्ष्म होता है, सामान्य दृष्टि में वह पीली ही दीख पड़ती है। इसी में कोई-कोई गांठ काले रंग की निकल आती है। यदि किसी को यह काली हल्दी की गांठ प्राप्त हो जाए तो समझना चाहिए कि लक्ष्मी प्राप्ति का एक श्रेष्ठ तांत्रिक दैवी-साधन मिल गया।
प्रयोग विधि:- प्रातः काल (शुभ मुहूर्त के शनिवार के दिन) स्नान से पवित्र होकर, काले हल्दी की गांठ को पीले अक्षत (पीले चावल) एवं एक सिक्के के साथ पीले कपड़े में बांधकर पूजा स्थल पर रखें और सुबह-शाम उनके समक्ष धूप-दीप जलाकर नमस्कार करें।
इसे व्यापारी लोग अपने गल्ले, कैश बाॅक्स या तिजौरी में रखकर भी नित्य धूप-दीप दिखा सकतें है तो आश्चर्यजनक अर्थ लाभ होने लगता है।यह ’’हरिद्रा’’ स्थापित करने वाले व्यक्ति को मूली, गाजर व जिमी कन्द (सूरन) खाना वर्जित है।