गर्भ की पीड़ा दूर करने हेतु टोटके
1. पीपल की छाल, काला तिल, सतावर -तीनों बराबर मात्रा में लेकर गौ के दूध में पीसकर सात दिन पीने से प्रथम मास व दूसरे मास की गर्भ पीड़ा दूर होती है।
2. चन्दन, तगर, कूट, कमल की जड़, केशर, काकोली, असगन्ध बराबर मात्रा में लेकर, ठंडे पानी के साथ पीसकर पीने से तीसरे मास की गर्भ की पीड़ा जाती रहती है।
3. गदहपूर्णा, काकोली, तरन, नील कमल, गौखरू ये सभी सम मात्रा में दूध के साथ पीसकर पीने से पांचवे मास की गर्भपीड़ा शान्त होती है।
4. कैथ का गूदा ठंडे पानी में पीसकर, दूध मिलाकर पीने से छठे मास की गर्भ पीड़ा नष्ट होती है।
5. कसेरू, पुष्कर, सिंघोड़ा व नील कमल की पंखुडियां पानी में पीसकर पीने से सातवें मास की गर्भ पीड़ा अच्छी होती है।
6. इन्द्रायण के बीज, कंकोल अकोल मधु शहद के साथ पीसकर खाने से आठवें व नवें मास की गर्भ पीड़ा शान्त होती है।
7. पुरानी खांड, मुनक्का, छुहारा, शहद व नील कमल की पंखुड़ियां बराबर मात्रा में दूध में पीसकर पीने से दसवें मास के गर्भ की व्यथा दूर होती है।
8.आंवला व मुलहठी सम मात्रा में दूध के साथ पीसकर पीने से गर्भ स्तम्भन पूर्ण रूपेण हो जाता है, फिर गिरता नही।
9. ’’सिद्ध विजया यंत्र’’ धारण करने से किसी प्रकार की गर्भ पीड़ा नहीं होती।