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व्रत और मन्त्र जप की विधियाॅ

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व्रत और मन्त्र जप की विधियाॅ इस प्रकार हैं-

सूर्य का व्रत

एक वर्ष तक या 30 या 12 रविवार तक व्रत करना चाहिए। व्रत के दिन लाल कपड़े पहन कर ऊॅं ह्रीं ह्रीं ह्रौ सः सूर्याय नमः मन्त्र की 12 माला जप करें। जपके पश्चात शुद्ध जल, रक्तचन्दन, अक्षत (चावल), लाल फूल और दूब से सूर्य को अध्र्य दें। सूर्यास्त से पहले एक समय बिना नमक का भोजन करें। इस व्रत को करने से तेजस्विता बढ़ती है, शान्ति मिलती है और शरीर निरोग रहता है। नेत्रो की ज्योति बढ़ती है।

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चन्द्रमा का व्रत

10 सोमवार तक इस व्रत को करना चाहिए।व्रत के दिन सफेद कपड़े पहन कर ऊॅं श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः मन्त्र की 54 माला का जाप करें। बिना नमक का भोजन करें।इस व्रत को करने से व्यापार में लाभ होता है। मानसिक कष्टों से शान्ति मिलती है। विशेष कार्यसिद्धि में यह व्रत पूर्ण लाभदाय होता है। शरीर निरोग होता है।

मंगल का व्रत

21 मंगलवारों तक यह व्रत करना चाहिए। आपकी इच्छा हो तो आप यह व्रत अधिक दिन भी कर सकती हैं। लाल कपड़े पहन कर ऊॅ क्रां क्रीं क्रौ सः भौमाय नमः मत्र की 7, 5 या 3 माला का जाप करें। एक समय बिना नमक का भोजन करें। इस व्रत के करने से कर्ज से छुटकारा मिलता है और सन्तान सुख की प्राप्ति होती है। हड्डियों के रोग से मुक्ति मिलती है।