विवाह नामक प्रथा “विश्वास’ और “वचनबद्धता’ पर आधारित होती है. विपरित लिंग के व्यक्ति के प्रति आकर्षित होना हमारे जीन में है, परंतु अपनी भावनाओं पर काबू पाना जिनेटिक्स तथा अन्य कारकों पर निर्भर करता है और यही सफल विवाह का विज्ञान भी है.
कुछ पुरूष और महिलाएँ अपने साथी को धोखा दे सकती हैं परंतु कुछ दम्पत्ति “विपरित लिंग के शारीरिक आकर्षण’ को सीमित रख पाने में सफल रहते हैं. ऐसा किसलिए होता है? इस सवाल का जवाब पाने के लिए कई शोधकर्ता अपने अपने तरीके से शोध कर रहे हैं. इस सवाल का जवाब जिनेटिक्स और बायोलोजी से मनोविज्ञान तक जुड़ा हुआ है और इस पर गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है.
अब तक हुई शोधों के नतीजे बताते हैं कि कुछ लोग प्राकृतिक रूप से ‘आकर्षण” के प्रति सचेत होते हैं. परंतु इसके साथ ही दिमाग को इसके लिए प्रशिक्षित भी किया जा सकता है.
न्यूयार्क टाइम्स की खबर के अनुसार मैकगिल विश्वविद्यालय के जॉन लिडोन ने इस विषय पर एक सर्वे किया. सर्वे के माध्यम से यह जाना गया कि आदर्श दम्पत्तियों के जीवन पर ‘क्षणिक विपरित आकर्षण” का कितना प्रभाव पड़ता है.
इस सर्वे के लिए कुछ वचनबद्ध विवाहित पुरूषों और महिलाओं का चयन किया गया और उन्हें उनसे विपरित लिंग के लोगों की तस्वीरें दिखाई गई, और कहा गया कि वे इनमें से सुंदर व्यक्तियों के पहचान करें. इन लोगों ने जाहिर तौर पर सुंदर माने जा सकने वाले लोगों को चुना. इसके कुछ दिन बाद इन लोगों को फिर से वही तस्वीरें दिखाई गई और वही सवाल पूछा गया परंतु इस बार कहा गया कि तस्वीरों में से चुने गए लोग आपसे मिलना भी चाहेंगे. इस बार इन लोगों ने उन तस्वीरों को कम अंक दिए जिनको पहले अधिक अंक दिए थे.
यानी कि इन लोगों का दिमाग इस तरह से प्रशिक्षित होता है कि वह विपरित लिंग के आकर्षक व्यक्ति की तरफ आकर्षित तो होता है परंतु जैसे ही उसे लगता है कि उस व्यक्ति की वजह से उनका वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ सकता है तो “वह इतनी भी सुंदर नहीं” का अलार्म बज जाता है.
डॉ. लिडोन के अनुसार – आप जितने वचनबद्ध और अपने रिश्ते के प्रति इमानदार होते हैं, आप उतना ही उन लोगों से दूर होते रहते हैं जिनकी वजह से आपका वैवाहिक जीवन खतरे में पड़े.
हमारा दिमाग इसके लिए प्रोग्राम किया हुआ होता है. यह अनुवांशिक रूप से भी हो सकता है और इसके लिए दिमाग को प्रशिक्षित भी किया जा सकता है