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कुंडली में नाड़ी दोष क्यों बनता है और इससे कैसे बचें?

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नाड़ी दोष क्या है

भारतीय वैदिक ज्योतिष में विवाह से पहले कुंडली मिलान को अत्यंत आवश्यक माना गया है। विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि दो आत्माओं, दो परिवारों और दो कर्मों का मिलन होता है। इसी कारण विवाह से पहले अष्टकूट मिलान किया जाता है, जिसमें कुल 36 गुणों का विचार किया जाता है। इन आठ कूटों में सबसे अधिक महत्व नाड़ी कूट को दिया गया है। यदि इस कूट में दोष उत्पन्न हो जाए तो उसे नाड़ी दोष कहा जाता है, जिसे विवाह के लिए अत्यंत गंभीर माना जाता है।

नाड़ी कूट का महत्व

अष्टकूट मिलान में नाड़ी कूट को 8 गुण प्राप्त होते हैं, जो कि सबसे अधिक हैं। इसका सीधा संबंध पति-पत्नी के स्वास्थ्य, संतान सुख और वैवाहिक जीवन की स्थिरता से होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि वर-वधू की नाड़ी समान हो जाए तो विवाह में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे—

  • संतान से जुड़ी परेशानियाँ
  • वैवाहिक जीवन में तनाव
  • शारीरिक या मानसिक असंतुलन
  • पति या पत्नी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव

इसी कारण नाड़ी दोष को अनदेखा करना उचित नहीं माना जाता।

नाड़ी के प्रकार

ज्योतिष में कुल तीन प्रकार की नाड़ियाँ मानी गई हैं—

1. आदि नाड़ी

यह नाड़ी वात तत्व से संबंधित होती है। जिन जातकों की कुंडली में आदि नाड़ी होती है, वे प्रायः चंचल, बुद्धिमान और विचारशील होते हैं।

2. मध्य नाड़ी

यह पित्त तत्व से जुड़ी होती है। ऐसे लोग साहसी, तेजस्वी और नेतृत्व क्षमता वाले होते हैं।

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3. अंत्य नाड़ी

यह कफ तत्व से संबंधित मानी जाती है। इस नाड़ी वाले जातक शांत, स्थिर स्वभाव और सहनशील होते हैं।

यदि वर और वधू दोनों की नाड़ी समान हो जाती है, तभी नाड़ी दोष बनता है।

नाड़ी दोष कैसे बनता है?

जब वर और वधू की जन्म नक्षत्र के अनुसार नाड़ी एक ही होती है, तब नाड़ी दोष उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए—

  • दोनों की आदि नाड़ी हो
  • दोनों की मध्य नाड़ी हो
  • दोनों की अंत्य नाड़ी हो

ऐसी स्थिति में अष्टकूट मिलान में पूरे 8 गुण कट जाते हैं, जिससे कुल गुणों की संख्या काफी कम हो जाती है।

नाड़ी दोष के प्रभाव

नाड़ी दोष को शास्त्रों में अत्यंत गंभीर माना गया है। इसके संभावित प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं—

1. संतान सुख में बाधा

नाड़ी दोष का सबसे बड़ा प्रभाव संतान से जुड़ा माना जाता है।

  • संतान प्राप्ति में देरी
  • गर्भपात की संभावना
  • संतान का कमजोर स्वास्थ्य
  • वंश वृद्धि में रुकावट

2. वैवाहिक जीवन में तनाव

नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी के बीच वैचारिक मतभेद बढ़ सकते हैं।

  • छोटी-छोटी बातों पर विवाद
  • एक-दूसरे को समझने में कठिनाई
  • भावनात्मक दूरी

3. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ

इस दोष के कारण पति या पत्नी को लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • बार-बार बीमार पड़ना
  • मानसिक तनाव
  • हार्मोनल या प्रजनन संबंधी समस्याएँ

4. मानसिक अशांति

नाड़ी दोष वाले दांपत्य जीवन में अक्सर मानसिक असंतुलन देखा जाता है।

  • चिंता
  • अवसाद
  • नकारात्मक सोच
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क्या हर नाड़ी दोष अशुभ होता है?

यह समझना बहुत आवश्यक है कि हर नाड़ी दोष हमेशा अशुभ नहीं होता। ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष परिस्थितियाँ बताई गई हैं, जिनमें नाड़ी दोष निष्प्रभावी हो जाता है।

नाड़ी दोष के अपवाद 

1. एक ही नक्षत्र लेकिन चरण अलग हों

यदि वर-वधू का नक्षत्र समान हो लेकिन चरण अलग-अलग हों, तो कई विद्वान ज्योतिषी नाड़ी दोष को प्रभावहीन मानते हैं।

2. ग्रहों की स्थिति मजबूत हो

यदि कुंडली में गुरु, शुक्र और चंद्रमा मजबूत स्थिति में हों, तो नाड़ी दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

3. राशियाँ अलग हों

कई बार समान नाड़ी होते हुए भी यदि राशियाँ अलग हों, तो दोष कमजोर माना जाता है।

4. नवांश कुंडली में दोष न हो

यदि नवांश कुंडली में नाड़ी दोष नहीं बन रहा हो, तो मुख्य कुंडली का दोष भी काफी हद तक शांत हो जाता है।

नाड़ी दोष के ज्योतिष उपाय

1. नाड़ी दोष निवारण पूजा

यह पूजा विवाह से पूर्व कराई जाती है। इसमें विशेष मंत्रों के द्वारा दोष शांति कराई जाती है।

  • भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा
  • गुरु और शुक्र ग्रह की शांति
  • विशेष हवन

2. महामृत्युंजय मंत्र जाप

महामृत्युंजय मंत्र को अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का जाप करने से नाड़ी दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।

मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. शिव विवाह या गौरी-शंकर पूजा

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नाड़ी दोष शांति के लिए शिव-पार्वती का पूजन अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

  • सोमवार को व्रत रखें
  • शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें

4. कन्या या वर का प्रतीकात्मक विवाह

कुछ परंपराओं में दोष निवारण के लिए प्रतीकात्मक विवाह कराया जाता है, जैसे—

  • विष्णु विवाह
  • पीपल या केले के वृक्ष से विवाह

5. दान और सेवा

दान को भी नाड़ी दोष शांति का प्रभावी उपाय माना गया है।

  • अन्न दान
  • वस्त्र दान
  • गौ सेवा
  • निर्धनों की सहायता

आधुनिक समय में नाड़ी दोष की भूमिका

आज के समय में चिकित्सा विज्ञान और आधुनिक जीवनशैली के कारण कई लोग नाड़ी दोष को पूरी तरह नहीं मानते, लेकिन यह भी सत्य है कि ज्योतिषीय दृष्टि से यह दोष केवल डराने के लिए नहीं, बल्कि संभावित समस्याओं की ओर संकेत करता है।

समझदारी इसी में है कि नाड़ी दोष होने पर अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लिया जाए और कुंडली को समग्र रूप से देखा जाए।

नाड़ी दोष विवाह से पूर्व विचार करने योग्य एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय विषय है। यह दोष संतान सुख, वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ा माना जाता है, लेकिन हर स्थिति में यह घातक नहीं होता। 
सही कुंडली विश्लेषण, अपवादों की जांच और उचित ज्योतिष उपायों द्वारा इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यदि विश्वास, समझदारी और सही मार्गदर्शन के साथ कदम उठाया जाए, तो नाड़ी दोष भी सुखी वैवाहिक जीवन में बाधा नहीं बनता।