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राजधानी रायपुर के अमलेश्वर स्थित श्री महाकाल धाम में दिव्य पुण्यात्माओं का नि:शुल्क तर्पण श्राद्ध कर्म का विशेष आयोजन

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नि:शुल्क तर्पण श्राद्ध कर्म

राजधानी रायपुर के अमलेश्वर स्थित श्री महाकाल धाम में दिव्य पुण्यात्माओं का नि:शुल्क तर्पण श्राद्ध कर्म का विशेष आयोजन

Tarpan done free of cost पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. पितृ पक्ष हर साल भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस दौरान श्राद्ध करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस साल पितृ पक्ष का प्रारंभ 17 सितंबर, मंगलवार के दिन से होने जा रहा है. 17 सितंबर को पितृपक्ष की पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध है. पितृ पक्ष का समापन 2 अक्टूबर बुधवार को अमावस्या के दिन होगा. उस दिन श्राद्ध की अमावस्या होगी.

रायपुर : रायपुर के लिए पितृ पक्ष बेहद खास होने वाला है. क्योंकि राजधानी रायपुर के अमलेश्वर स्थित श्री महाकाल धाम में दिव्य पुण्यात्माओं का नि:शुल्क तर्पण श्राद्ध कर्म का विशेष आयोजन होने जा रहा है. श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के प्रमुख पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि “बहुत से लोगों को पता नहीं होता कि पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, अर्पण, दान, पिंडदान और श्राद्ध कर्म कैसे करें. इसलिए इस बार श्री महाकाल धाम में नि:शुल्क रुप से सारी व्यवस्था की जा रही है. जातक को इस पूजा में शामिल होने लिए पंजीयन 9893363928 में अपना नाम मोबाइल नंबर लिखकर किस दिन तर्पण में शामिल होना चाहते हैं. यह सारी जानकारी पूर्व से देनी होगी ताकि जातक को असुविधा ना हो. इसके साथ ही आपके पूजन तर्पण की तैयारी समय पर हो सके.”

प्रत्येक तिथि को होगा तर्पण : पितृपक्ष के दौरान पूरे 15 दिनों तक प्रत्येक तिथि को पितरों का श्राद्ध एवं तर्पण किया जाएगा. अपने पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण कराने के इच्छुक जातक यहां आ सकते हैं. जातक के लिए पूरी तरह नि:शुल्क व्यवस्था होगी. श्री महाकालधाम की ओर से व्यवस्था की जाएगी. श्री महाकालधाम में आने वाले भक्त स्वयंभू पवित्र शिवलिंग के दिव्य श्रृंगार का दर्शन कर सकते हैं. इसके अलावा पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मशांति के लिए विशेष पूजा अर्चना और आरती के साथ ही नारायण बली, नाग बली और कालसर्प की विशेष पूजा कराई जाएगी. जिसके लिए जातक को शुल्क लगेगा.क्यों करना चाहिए तर्पण ?: किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उस व्यक्ति का विधिवत रूप से अंतिम संस्कार, श्राद्ध एवं तर्पण न किया जाए तो उसकी आत्मा पृथ्वीलोक पर भटकती है. उनके पीढ़ी को पितृ दोष लगता है. ऐसे परिवार में जन्मे वंशजों को पूरे जीवन में अनेक कष्ट उठाने पड़ते हैं. यह दोष एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक कष्ट पहुंचाती है.

“पितृ पक्ष में 16 तिथियां होती हैं, जो पूर्णिमा से अमावस्या तक हैं. जिस दिन किसी के पिता, माता, दादा, दादी, नाना या नानी का निधन होता है. उस दिन पंचांग के अनुसार कोई न कोई तिथि अवश्य होती है.उस दिन जो तिथि होगी जैसे प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया आदि, वही तिथि पितृ पक्ष में देखते हैं. उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का निधन 4 फरवरी 2024 को हुआ था। उस दिन पंचांग के मुताबिक माघ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि थी.” पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी,ज्योतिष एवं वास्तुविद्

इस तरह उस व्यक्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर्म पितृ पक्ष में नवमी तिथि को किया जाएगा. यदि पूर्णिमा की तिथि को निधन हुआ है, तो पितृ पक्ष में पूर्णिमा​ तिथि पर तर्पण होगा. हिंदी कैलेंडर में कृष्ण और शुक्ल दो पक्ष होते हैं, लेकिन तिथियां एक से 15 तक होती हैं.”

पितृ पक्ष 2024 का कैलेंडर

17 सितंबर: पूर्णिमा श्राद्ध
18 सितंबर: प्रतिपदा श्राद्ध
19 सितंबर: द्वितीया श्राद्ध
20 सितंबर: तृतीया श्राद्ध
21 सितंबर: चतुर्थी श्राद्ध
22 सितंबर: पंचमी श्राद्ध
23 सितंबर: षष्ठी श्राद्ध, सप्तमी श्राद्ध
24 सितंबर: अष्टमी श्राद्ध
25 सितंबर: नवमी श्राद्ध
26 सितंबर: दशमी श्राद्ध
27 सितंबर: एकादशी श्राद्ध
29 सितंबर: द्वादशी श्राद्ध
30 सितंबर: त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर: चतुर्दशी श्राद्ध
2 अक्टूबर: अमावस्या श्राद्ध, सर्व पितृ अमावस्या

महाकाल धाम में होता है पितृ दोष और नागबली पूजा : इसके अलावा यदि किसी जातक को पितृ दोष हो तो इसका निवारण नारायण बलि पूजा से होता है.जबकि नागबली पूजा से सर्प या नाग की हत्या से निर्मित दोष का निवारण होता है. इसकी भी विशेष पूजा कराई जाएगी. इसके लिए जातक को पंजीयन आवश्यक होगा. इसके साथ ही इसका शुल्क देना होगा.इन दोनों ही पूजन के लिए अतिरिक्त समय लगता है.