छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा ज्योतिष सम्मेलन होगा आयोजित
– श्री महाकाल धाम में जुटेंगे देशभर के 150 से अधिक ज्योतिष शास्त्री
– आगामी 13 अक्टूबर को आयोजन
रायपुर. रायपुर से लगे खारून नदी के तट पर अमलेश्वर में श्री महाकाल धाम स्थित है. इस पवित्र धाम में आगामी 13 अक्टूबर को ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन में देशभर के 150 से अधिक मशहूर ज्योतिष शास्त्री, वास्तु शास्त्री, आचार्य महामंडलेश्वर और महंत पहुँचेंगे. श्री महाकाल धाम प्रमुख और ज्योतिष शास्त्री पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि इस ज्योतिष सम्मेलन में ख्यात ज्योतिष शास्त्रियों द्वारा लोगों की निःशुल्क कुंडली तैयार की जाएगी साथ ही ज्योतिष परामर्श भी दी जाएगी. एक ही स्थान पर ज्योतिष विद्वानों की मौजूदगी होने की वजह से यह सम्मेलन विशेष माना जा रहा है.
ज्योतिष को गणित का अंग माना गया है. ग्रह गोचर और उससे जुड़ी गणना के आधार पर ज्योतिष लोगों के भाग्य की भविष्यवाणी करते हैं. इस सम्मेलन से जुड़े लोगों का कहना है कि यह छत्तीसगढ़ में होने जा रहा यह अनूठा आयोजन है.
छत्तीसगढ़ में यह श्री महाकाल धाम द्वारा यह दूसरा ज्योतिषी सम्मेलन :
इस सम्मेलन की संयोजिका कल्पना झा (विराट ज्योतिष सम्मेलन) ने बताया कि यह छत्तीसगढ़ में श्री महाकाल धाम द्वारा आयोजित यह दूसरा ज्योतिषी सम्मेलन है. उन्होंने कहा कि, “अपने तरह का ये छत्तीसगढ़ में होने वाला विशेष आयोजन है, जिसमें एक ही मंच पर ज्योतिष के माध्यम से लोगों की निजी समस्याओं के निराकरण का प्रयास ज्योतिषविदों के द्वारा किया जाएगा.” उन्होंने बताया कि ज्योतिष सम्मेलन 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजे से लेकर रात्रि के 8 बजे तक चलेगा. श्री महाकाल धाम मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री महाकाल का पूजन अभिषेक सभी के लिए निःशुल्क होगा. साथ ही सभी के लिए प्रसादी की व्यवस्था भी की गई है.
सभी आदरणीय ज्योतिष एवं वास्तु के मनीषियों से आग्रह कृपया कार्यक्रम में आने से पहले रजिस्ट्रेशन जरूर करावें। रजिस्ट्रेशन जारी है आप इस नंबर 9893363928 पर अपनी डिटेल भेजें।
वर्सन –
“वेदस्य निर्मलं चक्षुर्ज्योतिश्शास्त्रमनुत्तमम्, यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा. अर्थात जिस प्रकार मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर है, उसी प्रकार सभी वेदांगशास्त्रों में गणित का स्थान सबसे ऊपर है. हमेशा से गणित और ज्योतिष समानार्थी शब्द थे लेकिन कालांतर में कुछ लोगों ने ज्योतिष को अंधविश्वास से जोड़ दिया.”
-पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तुविद