धन आगमन में रुकावटों का कारण होता है मनुष्य का हाथ अर्थात हाथों की लकीरें और हाथांे में स्थित निर्धनता के योग। आइये जानें इन रुकावटों का क्या संबंध है हाथों से: – भाग्य रेखा देर से शुरू हो रही हो, भाग्य रेखा मोटी और मस्तिष्क रेखा पर रुक गयी हो तथा हाथ में बहुत ही कम रेखाएं हों तो जीवन में कठिन संघर्ष करना पड़ता है, साथ ही कामकाज गति नहीं पकड़ पाता। – हाथ बहुत भारी न हो, सख्त हो और शनि ग्रह दबा हुआ हो तो अनियमित रोजगार, जीवन में संघर्ष और प्रत्येक काम रुक-रुक कर चलने के संकेत हैं। – शुक्र ग्रह का उठा हुआ होना, शनि ग्रह का दबा हुआ होना, गुरु की उंगली का छोटा होना और भाग्यरेखा का दूषित होना काम-काज में व्यवधान, अनियमित रोजगार और आर्थिक हानि होने के प्रबल संकेत हैं। – दोनों हाथों में जीवन रेखा सीधी हो, भाग्य रेखा दूषित हो और शनि ग्रह अत्यंत खराब हो तो आर्थिक नुकसान और रोजगार अनियमित रहने के संकेत हैं। – हृदय रेखा से कोई रेखा निकल कर या हृदय रेखा की शाखा मस्तिष्क रेखा को काट रही हो, साथ ही गुरु की उंगली छोटी हो तो ऐसे व्यक्तियों के धनागमन के मार्ग में बाधाएं आती हैं। – जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा बहुत आगे तक जाकर जुड़ रही हों, साथ ही शनि, सूर्य तथा बुध ग्रह भी दबे हुए हों तो ऐसे जातकों के रोजगार गति नहीं पकड़ पाते, कोई भी व्यवसाय नियमित नहीं चल पाता। – हाथ सख्त हो और पतला हो, गुरु की उंगली छोटी हो और उंगलियों में छिद्र हों तो ये दोषपूर्ण योग हैं। इनके कारण धन के संघर्ष, अस्थिर व्यवसाय एवं आर्थिक रुकावटें बनी रहती हैं। – चमसाकार हाथ में भाग्य रेखा दोषपूर्ण हो, उंगलियों में छेद हों और शनि ग्रह की स्थिति अत्यंत कमजोर हो तो पूरा जीवन संघर्षमय रहेगा, खासकर नौकरी एवं व्यवसाय में रुकावटें आती रहेंगी। – अत्यंत चैड़ी भाग्य रेखा से छोटी-छोटी शाखाएं निकलकर नीचे की ओर जा रही हों तो यह दिवाला योग का प्रबल संकेत है। – शनि ग्रह और बुध ग्रह अत्यंत कमजोर हों, शनि की उंगली भी ठीक न हो तो धनप्राप्ति के मार्ग में रुकावट आती है। – मंगल रेखा, जीवन रेखा और भाग्य रेखा को यदि कई आड़ी-तिरछी रेखाएं काट रही हों तो सभी कामों में रुकावट आती हैं, खासकर आर्थिक क्षेत्र में बाधाएं आती हैं। – दूषित भाग्य रेखा से अधोगामी रेखाएं निकल रहीं हों और शुक्र से निकलने वाली रेखाएं जीवन रेखा को काट रही हों तो आर्थिक हानि होती है और व्यवसाय में रुकावटें आती हैं।
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