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कुछ उपायों से बदली जा सकती है हस्तरेखा

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हस्तरेखाओं से यह ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति को किस दिशा में प्रयास करना चााहिए कि उसकी आय के स्रोत सदैव खुले रहें, वह प्रगतिशील रहे और उसके कार्यों में कोई बाधा न आए। किंतु कई बार व्यक्ति ऐसा पेशा, व्यापार या नौकरी अपना लेता है जिससे वह अत्यंत मेहनत करने के पश्चात भी जीवन स्तर की सुधार नहीं पाता है। यहां हथेलियों में पाए जाने वाले अपूर्ण या दुष्प्रभाव वाले चिह्नों को शुभ चिह्नों में बदलने के उपायों का वर्णन प्रस्तुत है। – प्रशासनिक क्षेत्र में जाने या नौकरी में पदोन्नति के लिए आवश्यक है कि सूर्य पर्वत उभरा हुआ हो तथा उस पर गहरी रेखा हो जो मस्तिष्क रेखा से मिल रही हो। किंतु यदि इसका अभाव हो तो इस क्षेत्र में उन्नति के लिए निम्न उपाय करने चाहिए। – जल में सिंदूर या कुमकुम मिलाकर सूर्य को चढ़ाएं। उगते हुए सूर्य के दर्शन अवश्य करें। और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। यदि विवाह रेखा दोषपूर्ण हो अपूर्ण या इसकी संख्या दो से अधिक हो और इस कारण विवाह में विलंब रहा हो तो केले के वृक्ष की परिक्रमा करें या बंदरों को केला खिलाएं अथवा हाथों की आठों अंगुलियों के नाखून काट कर कर्पूर के माध्यम से उन्हें जला लें और उसमें हल्दी मिला कर दोनों हाथों की मुठ्ठियों में जो से भींच लें। यह प्रयोग गुरुवार को गोधूलि बेला में। सूर्य की साक्षी में करें और मुठ्ठियाँ तब तक भींचे रखें जब तक कि अंधेरा न हो जाए। फिर वह राख फेंक दें। यदि शनि पर्वत या शनि रेखा के कारण कोई कार्य बिगड़ रहा हो तो शनिवार की रात किसी स्थान पर किसी भी तेल की ग्यारह बिंदिया लगाकर उस पर काला आसन बिछाकर पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठें और अंधेरे में शनि मंत्र का जप करें। यदि समस्या न्यायालय से संबंधित हो तो आसन के नीचे लोहे का सिक्का भी रख लें। सिक्के को साथ में न्यायालय भी ले जाएं। यदि हस्तरेखाएं स्पष्ट न हों, पर्वतों के उभार सही नहीं हों तो घर में पिरामिड या स्फटिक श्री यंत्र की स्थापना और पूजन करें, लाभ होगा। नियमित मौन रखने से भी हस्त रेखाओं में शीघ्र अनुकूल बदलाव आते हैं। जीवन रेखा को गहरा और वृहद बनाने तथा दोषपूर्ण स्थिति मिटाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप है। प्राणायम और योगासान से हृदय रेखा प्रभावित होती है। यदि हृदय रेखा जालीदार, टूटी हुई और छोटी हो तो सुबह शाम प्राणायाम करें, अत्यंत लाभ होगा।

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