लिविंग रुम घर का वह स्थान है जहां परिवार के सभी व्यक्ति एक साथ बैठकर, दिन भर की बातें शेयर करते हैं। पूरे दिन में किस ने क्या किया और सारा दिन कैसा रहा, यह सब चर्चा करने के लिए यह घर का सबसे उपयुक्त स्थान है। आज का दिन, भविष्य की योजनाएं और बीते हुए कल की यादों को याद करने के कार्य भी इसी स्थान पर किया जाता है। घर के इस स्थान को परिवार से मेल मिलाप का स्थान कहा जा सकता है।
परिवार को परिवार से जोड़े रखने में यह स्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घर-परिवार की खट्टी मीठी बातों को शेयर करने से सबके दिल एक-दूसरे से जुड़े रहते है। यहां करियर, शिक्षा, रोजगार, शादी-ब्याह से जुड़ी सभी जरुरी बातें तय की जाती है। अनेक बातों का केंद्र यह स्थान रहता है। इसलिए घर के अन्य स्थानों से अधिक इस स्थान का सकारात्मक रहना सबसे अधिक आवश्यक है।
कई बार घर के इस कोने में वास्तु दोष से युक्त होने के कारण यहां बैठ कर की गई चर्चा विवाद का रुप ले लेती है। ऐसे में बात का बतंगड़ बनने में फिर देर नहीं लगती, परिवार एक दूसरे के करीब आने की जगह एक दूसरे से दूरियां बनाने लगता है। घर की बैठक शरीर में ह्रदय का काम करती है, शरीर में ह्र्दय सुचारु रुप से काम ना कर रहा हो तो अन्य अंगों को खराब होते देर नहीं लगती।
इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि घर के इस भाग को वास्तु अनुरुप रखा जाए या फिर वास्तु दोषों को दूर करने के लिए उपायों का सहारा लिया जाए। वास्तु शास्त्र के नियमों को ध्यान में रखते हुए, घर की बैठक को कैसे वास्तु सम्मत रखा जाए, यह आज हम आपको इस आलेख में बताने जा रहे हैं-
- आप के घर की बैठक, लिविंग रुम, ड्राइंग रुम किस प्रकार का होना चाहिए, और इसकी साज-सज्जा किस प्रकार की होनी चाहिए, इसका सीधा संबंध घर के मुख्य द्वार से होता है। जैसे-यदि आप का घर पूर्वाभिमुख या उत्तरमुखी हैं तो ड्राइंग रुम का ईशान कोण में होना वास्तु अनुरुप माना जाता है। इसके विपरीत यदि घर पश्चिम मुखी है तो आपका ड्राइंग रुम का उत्तर-पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है। मकान का दक्षिणामुखी होने पर बैठक को आग्नेय अर्थात दक्षिण-पूर्व स्थान पर होना चाहिए।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार बैठक या तो वर्गाकार हो या फिर वह आयताकार होनी चाहिए। उसका अन्य किसी आकार जैसे- अंडाकार, गोलाकार का होना वास्तु अनुरुप नहीं होता है। इस स्थान की ऊर्जा बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि इसकी सजावट भी वास्तु के नियमों के तहत होनी चाहिए। वास्तु नियमों के हिसाब से सजावट करने से एक तो बैठक का सौंदर्यकरण बेहतर होता हैं दूसरा इस स्थान की ऊर्जा भी बढ़ती है। किसी कारणवश यदि ऐसा संभव ना हो तो, इस स्थान को वास्तु उपायों से वास्तु सम्मत बनाए रखा जा सकता हैं।
- घर के इस स्थान पर मछली घर रखना शुभ माना जाता है। यदि किसी भी प्रकार का वास्तु दोष है तो वह यहां मछलीघर या पानी का फव्वारा रखने से दूर हो सकता है, इस स्थान पर भी यह ध्यान रखना चाहिए कि इन वस्तुओं को बैठक की दक्षिणी दिशा में नहीं रखना चाहिए। मछलीघर या फव्वारा बैठक की ईशान कोण की दिशा में लगाना शुभता देता है। इस दिशा में पानी का प्रवाह, सकारात्मक एनर्जी देता है। पानी का फव्वारा या मछली घर रखते समय इसका कांच, तांबे, पत्थर या स्टेनलेस स्टील से बना होना चाहिए। बैठक में बहते पानी का स्वर स्थान की शुभता को बढ़ाता है। इससे इस स्थान पर बैठने वाले व्यक्तियों का मन खुश रहता है। इससे घर के लोगों का आपसी तालमेल बेहतर होता है। मछलीघर और फव्वारा घर के छोटे बच्चों को उत्साहित रख प्रसन्नता देता है। मनोद्शा को सुखद करने का कार्य भी यह यहां करता है। जलीय राशि का यहां होना बैठक को वास्तु सम्मत बनाए रखता है।
- बैठक को आतिशदान से सजाना भी वास्तु शुभता प्रदान करता है। घर के इस भाग में आतिशदान सजाना हो तो बैठक की दक्षिण-पूर्वी भाग का प्रयोग करें। यदि यह संभव ना हो तो आप उत्तर-पूर्वी दिशा में भी आतिशदान रख सकते है। परन्तु यहां ध्यान रखना है कि इसे रखने के लिए कभी भी दक्षिण पश्चिम या उत्तर-पूर्व दिशा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि तत्व की दिशा हैं, इसलिए यहां आतिशदान रखना उपयुक्त रहता है।
- बैठक की पूर्व-उत्तर दिशा को बहते जल के चित्रों से सजाया जाना चाहिए। इससे धन का प्रवाह घर में बना रहता है। धन-समृद्धि करने में भी इससे सहयोग मिलता है।
- इस दिशा में सन राईज की पिक्चर्स को लगाना भी बैठक को सकारात्मक ऊर्जा देता है। इसके अतिरिक्त घर का यह स्थान खिले हुए फूलों के चित्रों से सजाया जाए तो अति शुभफलदायक रहता है।
- घर की पूर्व-उत्तर दिशा में ईश्वर के चित्र लगाना वास्तु दोष को दूर करता है।
- झरना, उगता सूरज लगाने से लिविंग रुम की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। जंगली जानवर, युद्ध के चित्र, आवेश युक्त चित्र, या अन्य लड़ाई के चित्र लगाना सही नहीं माना जाता है।
- बैठक में यदि कोई फर्नीचर रखना हों तो इसके लिए इस रुम के दक्षिण-पश्चिम भाग का प्रयोग करना चाहिए।