Purvashada Nakshatra: निडर और आक्रामक होते हैं इस नक्षत्र के लोग, जानें और क्या होती हैं खूबियां
Purvashada Nakshatra: जिस तरह से हमने आपको यह बताया था कि कर्क राशि या तुला राशि के जातक कैसे होते हैं, ठीक ऐसी ही जानकारी आज एक बार फिर हम आपके लिए लाए हैं। आज हम आपका बताएंगे कि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति कैसे होते हैं। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति बेहद उत्साही होते हैं। साथ ही इन्हें हर कार्य को पूरा करने में काफी रुचि होती है। यह कर्मठ और पराक्रमी भी होते हैं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि जो लोग पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में पैदा होते हैं वो कैसे होते हैं।
जानें कैसे होते हैं पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र:
जो लोग इस नक्षत्र में जन्मे होते हैं उन्हें पराजय बेहद तकलीफ देती है। इन्हें जीतना पसंद होता है। साथ ही इनका व्यवहार सौम्य होता है। यह बेहद सहयोगी भी होते हैं। इसी कारण ये अपने लक्ष्य तक भी पहुंच जाते हैं। इनमें आत्मबल की भी कमी नहीं होती है। अगर इन्हें कोई कठिन काम दिया जाए तो यह उस काम को आसानी से कर सकते हैं। ये कभी भी किसी कठिन काम को मना नहीं करते हैं। इस नक्षत्र वाल लोग कठिन परिस्थितियों में अपने आप को तपाते हैं जिससे इनमें लक्ष्य तक पहुंचने की अद्भुत शक्ति आती है और इनका विश्वास इन्हें अजेय बनाता है। ये लोग जल्दी किसी से नाराज नहीं होते हैं। विषम परिस्थिति में भी इनके अंदर एक आशा सदैव बनी रहती है।
किस नंबर पर है नक्षत्र मंडल में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र:
नक्षत्र मंडल में यह नक्षत्र 20वें नंबर पर है। पूर्वाषाढ़ा का अर्थ विजय से पूर्व होता है। वैदिक ज्योतिष में इस नक्षत्र में एक स्त्री नक्षत्र कहा जाता है। इसका कारण इस नक्षत्र का अप: तथा शुक्र के साथ संबंध माना जाता है। इसका तत्व वायु तत्व है। इस नक्षत्र पर प्रभाव होने के कारण भी इस नक्षत्र के जातक अव्यावहारिक तथा आधारहीन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का अधिपति ग्रह शुक्र को माना गया है। इसी वजह से इस नक्षत्र पर शुक्र का प्रभाव भी पड़ता है। अगर इस जातक के नक्षत्र पर शुक्र का प्रभाव पड़ता है तो जातक प्रेम करने वाला तथा जीवन को जीने की कला जानने वाला होता है। इस नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में हैं। इसी वजह से इन जातकों पर बृहस्पति का प्रभाव भी पड़ता है। यही वजह है कि जातक महत्वाकांक्षी, आशावादी, प्रसन्नचित्त रहने वाला होता है। इन्हें ब्राह्मण माना जाता है।
सकारात्मक पक्ष:
ये लोग निडर, आक्रामक और टकराने वाले होते हैं। साथ ही इन्हें भगवान से डर लगता है। वहीं, ये विनम्र, ईमानदार और द्वेष और पाखंड से कोसों दूर रहते हैं। इनकी रुचि धर्म-कर्म में होती है। ये शिपिंग, नौकायन, समुद्री जीवन और पानी की उपयोगिताओं से संबंधित काम करना पसंद करते हैं।
नकारात्मक पक्ष:
इन जातकों की कुंडली में गुरु और शुक्र की स्थिति सही नहीं है। ऐसे में यह जातक बुद्धि और आचरण खो बैठते हैं। स्वभाव से ये बेहद जिद्दी होते हैं। अगर उन्हें उकसाया जाए तो ये बहसबाजी पर भी ये उतारू हो जाते हैं। ये नफा-नुकसान के बारे में बिना सोचे निर्णय ले लेते हैं।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के शुभ प्रतीक, रंग, अक्षर आदि:
प्रतीक: सूपड़ा, हाथी दांत या हाथ का पंखा
रंग: काला
अक्षर: ब और ज
वृक्ष: सीता, अशोक का पेड़
देव अप: (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता)
नक्षत्र स्वामी: शुक्र
राशि स्वामी: गुरु
भौतिक सुख: स्त्री और भूमि, भवन सुख
शारीरिक गठन: सुंदर चेहरा और कद-काठी सामान्य
Source: Jagran News