जीवन में हर मोड़ पर कई दिशाएॅ अथवा हर निर्णय के लिए कई आप्सन होते हैं। कई संभावनावों में से एक का चुनाव करना और उसके लिए अनुकूल प्रयासरत होना तथा उसमें सफल होना ही जीवन की सफलता है। जीवन में हमें ईश्वर द्वारा ‘कर्म संकेत’ मिलते हैं। कर्म संकेत यानी कुदरत आपको अपनी भाषा में कहती है कि ‘अब आप इस विषय पर, इस आयाम पर, अपने जीवन के इस पहलू पर कर्म करें।’ जैसे कोई बालक गणित में तो कमजोर होता है
किंतु उसका आर्ट बहुत स्ट्रांग होता है किंतु अभिभावक चाहते हैं कि वह इंजिनियर ही बनें किंतु उसकी रूचि एक संगीतकार बनने की होती है और उसे संगीत नहीं सिखाया जाता अब उसे ना तो इंजिनियरिंग में सफलता प्राप्त होती है और ना ही वह अच्छा संगीतज्ञ बन पाता इस प्रकार वह अपने जीवन में असफल होकर हताश होता है। इसी प्रकार कई बच्चे अच्छा खेलते हैं कि माता पिता चाहते हैं कि वह पढ़ाई में ध्यान लगायें। इसी प्रकार कोई जातक अपनी नौकरी की स्थिति से असंतुष्ट होता है तो कोई पारिवारिक।
इस प्रकार कहीं ना कहीं कर्म के कहीं फिल्ड या पसंद नापसंद की जानकारी के बिना किए गए कार्य में व्यक्ति हताश और असफल होता है। अस प्रकार कोई भी कर्म संकेत मिलने के बाद ही कर्म शुरू हो जाना चाहिए, तमोगुण मिटाना चाहिए। जो इंसान सही समय पर कर्म संकेत पहचान कर योग्य कर्म शुरू करता है, वही संपूर्ण सफलता, निरोगीकाया तथा समृद्धि प्राप्त करता है।
सामान्यतः कर्म संकेत को पहचानना मुश्किल होता है। इसके पहचाने का एक जरिया है ज्योतिषीय ग्रह विश्लेषण। जब किसी की कुंडली में ग्रहों का स्थापन और ग्रहों के गोचर का अध्ययन किया जाता है तो उसके भविष्य में होने वाली लाभ-हानि, स्वास्थ्य, रिश्तों इत्यादि सभी के बारे में पता चलता है अतः जीवन में आगे क्या करना चाहिए? क्या नहीं करना चाहिए
क्या नहीं करना चाहिए इसका निर्धारण करने के लिए अर्थात् कर्म संकेत जानने के लिए ग्रहों के गोचर का विश्लेषण कराना चाहिए। इसके लिए गुरू, बुध और शनि की स्थिति, उस पर राहु जैसे क्रूर ग्रहों का प्रभाव देखना चाहिए। सहीं कर्म संकेत प्राप्त करने के लिए दत्तात्रेय मंत्र का पाठ, गुरूजनों से आर्शीवाद प्राप्त करने हेतु पीले पुष्प, पीले वस्त्र एवं दाल का दान, सूक्ष्म एवं कमजोर लोगो की मदद तथा सेवा करना चाहिए।